बहराइच। द जंगल बुक टीवी सीरियल में मोगली नामक शख्स आज अपनी पहचान का मोहताज नहीं है। जानवरों के बीच रहकर वह उन जैसी आवाज निकालता है तो गतिविधियां भी वैसी ही करता है। मोगली के किरदार से जुड़ी ऐसी ही गतिविधियों का केन्द्र इन दिनों बेहराइच के जिला अस्पताल में भर्ती 10 वर्षीय रहस्मयी बालिका बनी हुई है। यह बालिका न तो इंसानों की तरह बात करती है न ही उनकी तरह व्यवहार वरन् इंसानों को देखकर वह भागने का प्रयास करती है। जो जानकारी सामने आई उसके अनुसार उसे उप्र के बहराइच जिला अस्पताल में ढाई माह पहले कतर्नियाघाट के जंगलों से लाया गया था। अस्पताल प्रशासन व पुलिस का मानना है कि इस बालिका की परवरिश बंदरों के बीच हुई। सबसे पहले कतर्नियाघाट जंगलों में लकड़ी बीन रहे लोगों ने उसे देखा। उस दरम्यान उसके तन पर एक कपड़ा तक न था। जब लोग उसके पास गए तो बंदरों ने उन्हें घेर लिया और उसके पास किसी को नहीं जाने दिया। जैसे-जैसे यह बात फैली तो ग्रामीण मौके पर गए, लेकिन बंदरों के झुंड के झुंड उसके इर्द-गिर्द आ जाते और ग्रामीणों को भागने पर मजबूर कर देते। बंदरों के झुंड बालिका की सुरक्षा इस प्रकार करते जैसे वे उनके परिवार की सदस्यया हो। सूचना पर पुलिस ने जब उसका सूराग लगाया तो 20 जनवरी की रात्रि को बालिका बंदरों के बीच दिखी। जहां कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस के जवानों ने उसे बंदरों के बीच से निकालकर गाड़ी में बैठाया और जख्मी हालत में अस्पताल में भर्ती कराया। हालांकि बालिका अब धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी है। लेकिन अभी वह लोगों को देखने के साथ ही बंदरों की तरह गुर्राती है तो अपने हाव भाव बंदरों के जैसे ही करती है। जब उसे खाना दिया जाता है तो वह भोजन की थाली को नीचे गिरा देती है और खाना भी बेड पर बिखेर कर ही खाती है। पुलिस ने बताया कि जब बालिका को पकड़ा गया उस दरम्यान वह नग्न अवस्था में थी, उसके नाखून बढ़े हुए थे तो शरीर पर जख्म थे, वह न बोल पा रही थी न उनकी बातों को समझ रही थी। चिकित्सक भी माने हैं कि जंगल में बंदरों के बीच रहने के कारण उसकी एक्टिविट बंदरों सरीखी ही देखने को मिल रही है। अब वह स्वस्थ हो रही है।
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