जयपुर। मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघ शिफ्टिंग के बाद भी सेंचुरी को पर्यटकों के लिए नहीं खोला जाएगा। राजस्थान हाईकोर्ट में टी-91 बाघ को एनटीसीए की अनुमति के बिना मुकन्दरा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में शिफ्ट करने के मामले में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जीवी रेड्डी ने मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्गजोग और न्यायाधीश जी आर मूलचंदानी की खंडपीठ के समक्ष यह जवाब दिया है। रेड्डी ने कहा कि हाईकोर्ट में याचिका लंबित रहने के दौरान वहां कोई भी व्यावसायिक और पयर्टन गतिविधियां आरंभ नहीं की जाएगी। इस आश्वासन के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 5 जुलाई तक टाल दी।
इस संबंध में अजयशंकर दुबे ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि वन विभाग ने रामगढ विषधारी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से टी-91 टाइगर को मुकन्दरा हिल्स में शिफ्ट किया है। जबकि इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की अनुमति नहीं ली गई। एनटीसीए को आवेदन करने पर वन विभाग को 9 अक्टूबर 2०17 को सैद्धांतिक रूप से इसकी अनुमति मिल गई थी लेकिन शर्ते पूरी नहीं करने पर प्राधिकरण ने अनुमति वापस ले ली। शर्तों के अनुसार विभाग को दो मादा और एक नर टाइगर एक साथ शिफ्ट करना था। टाइगर शिफ्ट करने से पहले वहां उसके भोजन की उपलब्धता की जानकारी हासिल करनी थी। एनटीसीए ने 6 अप्रैल को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बिना अनुमति बाघ शिफ्ट करने पर दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने की मांग की।
मुकन्दरा से टी-91 बाहर नहीं जा सके, इसके लिए 8० वर्ग किलोमीटर में फेसिंग कर दी गई है। शिफ्टिंग के बाद टाइगर के लिए बीकानेर से 8० चीतल मंगाए जा रहे हैं। सरकार का यह कदम टाइगर के लिए नए आवास का विकल्प नहीं होकर पर्यटकों की संख्या बढ़ाने तक ही सीमित है।
सुनवाई के दौरान कोटा निवासी सुधीर गुप्ता ने पक्षकार बनने की अर्जी दायर कर मुकन्दरा में बाघ की शिफ्टिंग को सही बताया।