– ईद के दिन कुर्बानी छोड़ राम नाम सत्य है के नारे लगाए
जयपुर. ईद-उल-अज़हा (बकरीद) के मौके पर राजस्थान में मुसलमान भाइयों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की। हिंदू की अर्थी को न सिर्फ कंधा दिया, ‘राम नाम सत्य है’ के नारे भी लगाए। कुर्बानी छोड़ श्मशान गए। वहां चिता पर लकड़ियां तक सजाईं। जयपुर के संजय नगर स्थित भट्टा बस्ती इलाके में इस दृश्य को जिसने भी देखा, उसने तारीफ की। अंतिम संस्कार के दौरान मुस्लिम समाज के लोग कंधा से कंधा मिलाकर डटे रहे। उन्होंने धर्म के नाम पर द्वेष फैलाने वालों को साफ संदेश दिया है। भट्टा बस्ती के वार्ड नंबर-6 निवासी सेंसर पाल सिंह तंवर का शनिवार देर रात निधन हो गया था। सेंसर पाल सिंह पिछले दो-तीन दिन से बीमार थे। उनका एसएमएस हॉ्स्पिटल में इलाज चल रहा था। ईद-उल-अजहा के दिन सुबह-सुबह उनके निधन की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई। सेंसर पाल के परिवार में इतने लोग नहीं थे कि शवयात्रा निकालकर अंत्येष्टि की जा सके। उनके पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग आगे आए। करीब 2 किलोमीटर की शवयात्रा में हिंदू-मुस्लिम की एकता को जिसने भी देखा, उसने तारीफ की। करीब 35 साल से सेंसर पाल सिंह मुस्लिम समाज के लोगों के बीच रह रहे थे।
– अंत्येष्टि कर लौटे, फिर दी कुर्बानी
सादिक चौहान ने बताया- ईद-उल-अजहा (बकरीद) के दिन भट्टा बस्ती स्थित नूरानी मस्जिद में सुबह 8 बजे नमाज पढ़ने के लिए लोग इकट्ठे हो रहे थे। इतने में सेंसर पाल सिंह के निधन की सूचना मिली। रशीद खान आरके के साथ मुस्लिम समाज के लोग यहां से सीधे सेंसर पाल सिंह की अर्थी को कंधा देने और अंतिम संस्कार के लिए निकल गए। श्मशान में क्रिया-कर्म का पूरा प्रबंध किया। रविवार दोपहर 12 बजे चांदपोल स्थित श्मशान घाट से लौटकर आए। फिर ईद की कुर्बानी दी। कुर्बानी से पहले इंसानियत और भाईचारे का कर्तव्य निभाया। सादिक चौहान कहते हैं, सेंसर पाल सिंह के तीन बेटे हैं। उनके परिवार में कुल 5-7 लोग ही हैं। कंधा देने वाले कम पड़ गए थे। इसलिए मुस्लिम समाज के लोग आगे आए। समाज के लोगों ने कंधा तो दिया ही, ‘राम नाम सत्य है’ के नारे भी लगाए। नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी से पहले हमने यह नेक काम किया। हम समाज में एक साथ रहते हैं। एक-दूसरे के सुख-दुख में हम हमेशा शामिल होते हैं। आज देश-प्रदेश के जो हालात हैं, ऐसे वक्त में हम संदेश देना चाहते हैं कि देश में एकता और भाईचारा बनाकर रखें। सामाजिक व्यवस्था के साथ-साथ देश को भी मजबूत करना है। गंगा-जमुनी तहजीब को जिन्दा रखना है।