नई दिल्ली. पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक न्यूज चैनल से बातचीत की। मोदी ने कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने लगभग दो दर्जन बार कहा है कि इस देश में यूसीसी लाओ। हमें झूठे नैरेटिव से बचना चाहिए। इस देश में सबसे पहले संविधान के साथ खिलवाड़ पंडित नेहरू ने किया। उन्होंने संविधान में जो अमेंडमेंट लाए, वो फ्रीडम ऑफ स्पीच को रोकने के लिए था। जो लोकतंत्र के खिलाफ था, संविधान के भी खिलाफ था। दूसरा अमेंडमेंट उनकी बेटी लाई। उन्होंने कोर्ट के जजमेंट को उलट दिया, जब देश में आंदोलन चला तो उन्होंने इमरजेंसी लगा दी। इसके बाद उनके बेटे आए, शाहबानो का जजमेंट आया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को उलट दिया। धर्म के आधार पर आरक्षण पर मोदी ने कहा जब तक मोदी जिंदा है तब तक धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा। बातचीत के दौरान मोदी ने सरकार के पहले 125 दिन के प्रोग्राम, आरक्षण, फैसलों की जिम्मेदारी लेना, भाजपा का 400 पार का नारा जैसे कई मुद्दों पर बातचीत की। पीएम मोदी ने कहा एक ही परिवार के चार लोगों ने अलग-अलग समय पर संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं। उन लोगों के लिए संविधान को लेकर इस प्रकार की गंदी हरकतें करने का जमाना चला गया और इसलिए मैं आज डंके की चोट पर कहता हूं कि जब तक मोदी जिंदा है तब तक जो संविधान सभा की मूल भावना है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा मैं इसके लिए लड़ाई लड़ूंगा, जान खपा दूंगा। धर्म के आधार पर आपने देश को बांट दिया। अब धर्म के आधार पर आप यह करोगे। क्या सिर्फ अपना पद बना रहे, कुर्सी मिलती रहे इसलिए यह खेल खेलते रहेंगे। देश इसे स्वीकार नहीं करेगा और मैं देश को एकजुट करूंगा। उसके लिए मैं अपना जीवन खपाऊंगा। मोदी ने कहा कि हमारे पास ऑलरेडी 2019 से 2024 तक एनडीए और एनडीए प्लस के रूप में 400 सीट थीं। इसलिए मेरा कर्तव्य बनता है कि इस बार 400 पार… क्योंकि हमें निरंतर आगे बढ़ना चाहिए। ये लीडरशिप का कर्तव्य है। मोदी ने कहा आज दुनिया को भरोसा है कि ये सरकार फिर बनने वाली है। जहां तक चुनाव का सवाल है तो इस चुनाव में कमल ही कैंडिडेट है और कोई केंडिडेट नहीं है। हम सब लोग कमल के लिए काम कर रहे हैं। मैंने चुनाव को लेकर एक साल पहले पार्टी को कह दिया था कि कैंडिडेट का वेट मत करो, हमारा कैंडिडेट कमल है। हम केवल कमल के लिए ही काम कर रहे हैं। क्योंकि वो जितना कीचड़ उछालते हैं, कमल उतना ही खिलता है। लोकतंत्र में, हमें चुनावों को केवल हार/जीत में बांटना नहीं करना चाहिए। चुनाव हमें बिना किसी व्यवधान या भटकाव के सीधे लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का मौका देते हैं। मेरा मानना ​​है कि प्रत्येक राजनीतिक दल को मतदाताओं को अपनी विचारधाराओं के बारे में शिक्षित और सूचित करने के लिए चुनावों का पूरा उपयोग करना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि घटनाओं के लिए जवाबदेही लेने के बजाय, नेता अब दोषारोपण का खेल खेलने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। प्रत्येक राजनीतिक दल में ऐसे सदस्य होने चाहिए जो अपनी पार्टी के लिए खड़े हो सकें और उसके कार्यों की जिम्मेदारी ले सकें। जहां तक इलेक्शन कमीशन की बात है तो सही मायने में आज इलेक्शन कमीशन पूर्ण रूप से स्वतंत्र बना है। मैं चाहूंगा कि भारत का इलेक्शन कमीशन की जो यात्रा है, उस पर एनाालिसिस हो। मोदी ने कहा- मैं सरकार के पहले 100 दिन का सोच रहा था, लेकिन अब मैं सवा सौ दिन के बारे में सोच रहा हूं, इसलिए क्योंकि मैं उत्साहित हो गया हूं। मैंने इस पूरे कैंपेन में युवा इंस्पिरेशन को देख रहा हूं और मैं टोटली 25 दिन युवाओं को डेडिकेट करना चाहता हूं। इसलिए मैं सौ से आगे बढ़कर सवा सौ दिन पर काम कर रहा हूं। फैसले लेना मेरी कार्यशैली का हिस्सा है। चीजों को बहुत वेल एंड एडवांस करता हूं। जब मैं संगठन का काम करता था तो पहले पूर्वानुमान लगाता था कि कैसे काम करना है। इसलिए मैं टाइम का भी ढंग से बंटवारा करता हूं। इससे प्रायोरिटी भी आसानी से तय कर सकता हूं। मैं किसी मैनेजमेंट स्कूल का स्टूडेंट तो नहीं रहा हूं, लेकिन शायद काम करते-करते ये डेवलप हुआ है। पीएम ने आगे कहा कि बहू भी जब शादी करके घर में नई आती है, तो पहले 5-10 दिन देखती है कि यहां कैसे काम करते हैं, क्या स्वभाव है। तो मुझे लगा कि मुझे भी इसे एड्रेस करना चाहिए। सरकार चलाना नहीं, सेवा करना मेरा इरादा मोदी ने कहा- मैं केवल सरकार चलाने के इरादे से काम नहीं करता; लोगों की सेवा करने को लेकर मेरे इरादे स्पष्ट हैं। 2014 में, मैंने अपनी सरकार के पहले 100 दिनों पर ध्यान केंद्रित किया। 2019 में मैंने प्राथमिकताओं का विस्तार किया और अपना ध्यान ग्लोबल राजनीति की ओर भी लगाया। 2024 में मैं लांग टर्म टारगेट बना रहा हूं। पिछले पांच सालों से मैं 2047 में भारत के लिए एक विजन पर काम कर रहा हूं, इस विजन को आकार देने के लिए हजारों लोगों से इनपुट ले रहा हूं। पीएम मोदी से पूछा गया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में एक दूसरा नेरेटिव है। अब लोग कहते हैं कि यह वन नेशन यह वन नेशन-वन ड्रेस हो जाएगी, वन नेशन-वन फूड हो जाएगा, वन नेशन-वन लैंग्वेज हो जाएगा और उसके आगे यह कि अब वन नेशन-वन लीडर हो जाएगा और हम उसी तरफ बढ़ रहे हैं। आप क्या कहेंगे? इस पर मोदी ने कहा जो लोग ऐसा बोलते हैं उनसे काउंटर सवाल किया जाना चाहिए कि आप यह नेरेटिव लाए कहां से। उन्होंने यूसीसी पढ़ा है? इस देश के पास उदाहरण है, गोवा में यूसीसी है। आप मुझे बताइए कि गोवा के लोग एक ही प्रकार के कपड़े पहनते हैं क्या? क्या गोवा के लोग एक ही प्रकार का खाना खाते हैं? क्या मजाक बनाकर रखा है यूनिफॉर्म सिविल कोड का। इसका तो कोई लेना देना ही नहीं।

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