नयी दिल्ली : अभिनेत्री-फिल्मकार नंदिता दास ने आज कहा कि संजय लीला भंसाली की मशहूर फिल्म ‘पद्मावती’ पर पाबंदी की मांग बस इस तथ्य को रेखांकित करती है कि कला बहुत सशक्त होती है। अड़तालीस वर्षीय निर्देशक ने कहा कि किसी भी कलाकार की अभिव्यक्ति को दबाना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं कला एक विशेष प्रकार की चिंतन प्रक्रिया को चुनौती दे रही है।
नंदिता ने कहा, ‘‘कला कोई क्रांति नहीं करती, लेकिन वह-अच्छी हो या बुरी, हमारे अवचेतन मन में प्रविष्ट कर जाती है। चूंकि लोग पद्मावती पर पाबंदी लगाना चाहते हैं तो आपको कला की शक्ति का अहसास होता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह अवश्य ही अवलोकन के एक विशेष तरीके पर खतरा डालती है । जबतक हम किसी भी विषय को विभिन्न दृष्टिकोण नहीं देखें तबतक हम कैसे सुविदित पसंद बनायेंगे। ’’ ‘पद्मावती’ फिल्म विवादों में घिरी है क्योंकि राजपूत संगठन और राजनीतिक दलों के नेता निर्देशक पर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाकर देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं और उस पर पाबंदी की मांग कर रहे हैं। नंदिरा यहां ‘टाईम्स लिटफेस्ट’ में ‘मंटो को याद करें’ सत्र में बोल रही थीं। उनकी फिल्म ‘मंटो’ अगले साल रिलीज होने जा रही है।