delhi. नमामि गंगे कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने पहली बार हाइब्रिड वार्षिकी मोड के तहत तीन सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के निर्माण के लिए अनुबंध प्रदान किये हैं। 68 एमएलडी और 14 एमएलडी के दो सीवेज शोधन संयंत्र हरिद्वार में और 15 एमएलवी का एक सीवेज शोधन संयंत्र वाराणसी में स्थापित किया जाएगा।
देश के अपशिष्ट जल प्रबंधन क्षेत्र में हाईब्रिड वार्षिकी मोड अपने किस्म का पहला मोड है। केन्द्र सरकार इन सीवेज शोधन संयंत्रों के निर्माण के लिए पूरा धन उपलब्ध कराएगी, ताकि परियोजना के लिए संसाधनों की कोई कमी न रहे। विशिष्ट वित्तीय मॉडल सीवेज शोधन बुनियादी ढांचे को चलाने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।
ठेकेदार न केवल सीवेज शोधन संयंत्र स्थापित करेंगे, बल्कि वे 15 वर्ष की अवधि तक इन का परिचालन और रख-रखाव भी करेंगे। इसके बाद ये संयंत्र स्थानीय निकायों को सौंप दिये जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पवित्र नदी में किसी भी प्रकार का गंदा पानी जाकर न मिले। निर्माण करने वाली एजेंसी को परियोजना के परिचालन और प्रबंधन तथा लागत का भुगतान 15 वर्ष की अवधि के दौरान किया जाएगा, ताकि परियोजना का कार्य सहज रूप से चलता रहे।