नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने आज दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह जिन आंकड़ों या अध्ययनों के आधार पर अगले सप्ताह से कारों के लिए सम-विषम लागू करने की योजना बना रही है, उन्हें पंचाट को सौंपे।
हरित अधिकरण ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा यह कहने के बावजूद कि पहले दो बार लागू हुई सम-विषम योजना के दौरान पीएम10 या पीएम2.5 का स्तर ज्यादा था, वह योजना क्यों लागू करना चाहती है। पिछले वर्ष 21 अप्रैल को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अधिकरण को बताया था कि इस तथ्य को बताने वाले कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि सम-विषम योजना के दौरान दिल्ली में वाहनों से होने वाला वायु प्रदूषण कम हुआ है। इस योजना के तहत सड़क पर एक दिन सम संख्या वाले जबकि दूसरे दिन विषम संख्या वाले वहनों को चलने की अनुमति होती है। दिल्ली सरकार को अधिकरण ने यह निर्देश दिया कि वह सम-विषम योजना तब तक लागू नहीं करेगी, जब तक वह साबित ना कर दे कि यह योजना अनुत्पादक नहीं है। अधिकरण ने दिल्ली सरकार से यह हलफनामा देने को भी कहा कि वह पीएम2.5 का स्तर हवा में 300 प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा होने पर ही यह योजना लागू करेगी।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, मौजूदा हालात में राजधानी में पीएम2.5 का स्तर करीब 433 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जबकि पीएम 10 की मात्रा करीब 617 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह डीजल और पेट्रोल वाहनों द्वारा होने वाले उत्सर्जनों का तुलनात्मक अनुपात उसे बताये। अधिकरण ने सरकार से यह स्पष्ट रूप से बताने को कहा कि पेट्रोल से चलने वाली छोटी कारों का प्रदूषण में कितना योगदान है। हरित अधिकरण ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि वह किस आधार पर दो-पहिया वाहनों, महिला कार चालकों को सम-विषम योजना से बाहर रख रही है, जबकि उसे मालूम है कि 46 प्रतिशत प्रदूषण दो-पहिया वाहनों से होता है। यह अध्ययन आईआईटी कानपुर का है। हालांकि, आप सरकार के अनुरोध पर हरित अधिकरण ने आवश्यक सेवाओं में जुटे उद्योगों को दिल्ली-एनसीआर में इस शर्त पर काम करने की छुट दी है कि वह प्रदूषण नहीं फैलाएंगे और उत्सर्जन नहीं करेंगे। सुनवायी अभी भी पूरी नहीं हुई है और वह कल भी जारी रहेगी। हालांकि अधिकरण ने यह माना कि दिल्ली सरकार पर्यावरण और जन स्वास्थ्य के हित में कदम उठा रही है और वह प्रशंसनीय है।