नयी दिल्ली। आजादी के बाद से सरकारों की गलत नीतियों के कारण भारतीय नस्ल के गोवंश के खतरे में पड़ने का आरोप लगाते हुए प्रमुख चिंतक के एन गोविंदाचार्य ने आज कहा कि गोरक्षा के बिना राष्ट्रीय सुरक्षा संभव नहीं है, ऐसे में गोवंश की रक्षा के लिये केंद्रीय कानून बने । उन्होंने कहा कि गो रक्षा के विभिन्न पहलुओं पर जोर देने के लिए 7 नवंबर को दिल्ली में रामलीला मैदान में देश के विभिन्न क्षेत्रों के गोरक्षक इकट्ठा होकर अपनी मांग रखेंगे । राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन एवं अन्य गोरक्षा संगठनों के तत्वावधान में गोरक्षा आंदोलन के तहत पिछले वर्ष गोरक्षा आंदोलन की शुरूआत की गई थी। इस विषय पर सरकार के समक्ष पेश करने के लिये एक निर्देश पत्र तैयार किया गया । इसके तहत यह मांग की गई है कि देश में संपूर्ण गोहत्या बंदी का केंद्रीय कानून बने, भारतीय गोवंश पर छाए संकट को दूर करने के लिए गोमांस के निर्यात को प्रतिबंधित किया जाए, गोचर भूमि को सरकारी एवं गैर सरकारी अतिक्रमण से मुक्त किया जाए । आरएसएस के प्रचारक रहे गोविंदाचार्य ने कहा कि गोवंश के हितों को ध्यान में रखते हुए गोरक्षा और गौ संवर्धन के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गंगा और गाय साम्प्रदायिक मुद्दा नहीं बल्कि सभ्यता और देश की पहचान से जुड़ा विषय है । यह अर्थव्यवस्था, पर्यावरण समेत व्यापक संदर्भ वाला विषय है. ऐसे में गंगा और गाय की सुरक्षा वक्त की जरूरत है ।
गोविंदाचार्य ने कहा कि आजादी के बाद से देश में प्रति मनुष्य मवेशियों के अनुपात में गंभीर गिरावट दर्ज की गई है । आजादी के समय एक मनुष्य पर एक मवेशी था जबकि आज 7 मनुष्य पर एक मवेशी का अनुपात रह गया है । उन्होंने कहा कि ऐसे में केंद्र स्तर पर गोवध प्रतिरोधक कानून लाया जाना चाहिए, साथ ही वनभूमि का अतिक्रमण रोका जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि गोवंश की तस्करी को रोकने के लिये सरकार कम से कम पशुओं को ढोने वाले वाहनों को अलग रंग में रंगने का प्रावधान कर सकती है ताकि इनकी पहचान की जा सके । इस विशेष रंग के वाहन के अतिरिक्त अगर किसी अन्य रंग के वाहन में पशुओं के ढोये जाने पर उन वाहनों को जब्त कर लिया जाए ।