विजय गोयल ने कहा कि यह संग्रहालय खेलों में भारत की उपलब्धियों को दर्शाएगा और साथ ही देश में मौजूद परम्परागत खेलों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। उन्होंने कहा कि इस संग्रहालय का लक्ष्य देश में खेलों को जीवन शैली के रूप में लोकप्रिय बनाना है। इसके अनुसार, प्रस्तावित संग्रहालय स्मृति चिन्हों को संग्रह करने के पारम्परिक दृष्टिकोण से भी बढ़कर सभी आयु वर्गों की दिलचस्पी का केंद्र बनेगा। इसके अलावा, यह संग्रहालय खेलों में महान भारतीय हस्तियों की उपलब्धियों का प्रदर्शन करेगा और साथ ही एक शैक्षणिक केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा तथा युवाओं को किसी न किसी खेल-कूद की गतिविधि में तल्लीन होने का अवसर प्रदान करेगा।
विजय गोयल ने सभी पुराने और वर्तमान खिलाडि़यों तथा आम जनता से अपील की है कि वे अपने पास रखे स्मृति चिन्हों को राष्ट्रीय खेल संग्रहालय में स्थायी प्रदर्शन के लिए देकर इस कार्य में अपना योगदान दें। गोयल ने कहा कि उभरते खिलाडि़यों को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से संग्रहालय में विभिन्न खेलों के नियमों और महत्वपूर्ण खेल आयोजन से संबंधित श्रव्य-दृश्य प्रदर्शन, खेलों और फिजिकल फिटनेस की सभी सुविधाओं से युक्त पुस्तकालय, पेंटिंग गैलरी और पुराने महत्वपूर्ण मैचों/मुकाबलों/खेलों को दिखाने के लिए एम्फीथिएटर बनाए जाने की योजना है।उन्होंने कहा कि संग्रहालय में कैफेटेरिया, एक एक्टिविटी जोन, यादगार वस्तुएं/ प्रो शॉप और प्ले एरिया भी होगा। विभिन्न खंडों में जिन गतिविधियों की योजना बनाई गई है उनमें खेल-कूद की गतिविधियां, खेल से संबंधित कंप्यूटर गेम और खेल स्मृति चिन्ह और खेल उपकरण बेचने वाली दुकाने शामिल होंगी। विजय गोयल ने कहा कि संग्रहालय खोलने का विचार अब विशेषज्ञों द्वारा संग्रहालय के मॉडल की अवस्था में तब्दील हो चुका है इसलिए संग्रहालय की स्थापना का प्रथम चरण जल्दी शुरू हो जाएगा।