नई दिल्ली। विपक्ष के बीच फिर से एक बार दरार साफ तौर पर नजर आई जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई बैठक का बहिष्कार किया। लेकिन, जद (यू) के विद्रोही सदस्य व शरद यादव के करीबी अली अनवर अंसारी के बैठक में भाग लेने से विपक्ष को कुछ राहत मिली। इस बैठक में विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार के खिलाफ अपने समन्वय को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। बैठक में भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार के खिलाफ भविष्य की रणनीति पर चर्चा के लिए एक छोटी समन्वय समिति बनाने का निर्णय भी किया गया। जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को बैठक में भाग लेने का निमंत्रण दिया गया था, लेकिन अपनी जगह उन्होंने अंसारी को बैठक में भाग लेने के लिए भेजा। शरद यादव मौजूदा समय में बिहार के दौरे पर हैं। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में भाग लिया। इसमें माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी व नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला भी शामिल हुए। ऐसा माना जा रहा है कि गुजरात में राज्यसभा चुनावों में मंगलवार को राकांपा के दो विधायकों ने भाजपा को वोट दिया था। अब इसके बाद पार्टी इस बैठक से दूर रही। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस की बैठक का बहिष्कार करती है। उन्होंने कहा, गुजरात राज्य सभा चुनावों में समर्थन के बावजूद यदि कांग्रेस हम पर हमला कर रही है तो हमारे बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है। इस बैठक में विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रहीं मीरा कुमार, उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे गोपाल कृष्ण गांधी को धन्यवाद दिया गया। इसमें कहा गया कि हार जीत की परवाह किए बगैर इन लोगों ने चुनाव लड़ा। बैठक की जानकारी देते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टियों ने संसद में मुद्दों को समन्वय के साथ उठाया। उन्होंने कहा, विपक्ष के नेताओं की एक छोटी समन्वय समिति के गठन का फैसला भविष्य के कार्यक्रमों निर्णय के लिए किया गया है। राकांपा शरद पवार की गैरमौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि शरद पवार का स्वास्थ्य सही नहीं है और वह नहीं आ सके।
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