नयी दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने आज कहा कि ट्रेनों में लगे बायोटॉयलेट के बारे में 2016-17 के दौरान काम नहीं करने, दुर्गंध और दम घुटने की करीब दो लाख शिकायतें लोगों ने की हैं। कैग ने ‘भारतीय रेल के यात्री डिब्बों में बायोटॉयलेट की शुरुआत’ पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके द्वारा ऑडिट किये गये 32 कोच डिपो में कुल 613 ट्रेनों का रख-रखाव किया जाता है और इनमें से 163 ट्रेनों में बायो टॉयलेट नहीं हैं। बाकी की 453 ट्रेनों में 25,080 बायो टॉयलेट हैं। इनके बारे में 1,99,689 शिकायतें मिली हैं।’’ कैग ने आगे कहा कि इनमें से सर्वाधिक 1,02,792 शिकायतें घुटन की मिली हैं। इसके बाद दुर्गंध की 16,375, टॉयलेट काम नहीं करने की 11462, कुड़ेदान नहीं होने की 21181, मग गायब होने की 22899 और वॉल्व खराब होने या अन्य प्रकार की 24980 शिकायतें मिली हैं। यह रिपोर्ट 2014-15, 2015-16 और 2016-17 की अवधि के ऑडिट पर आधारित है। इसे आज संसद में पेश किया गया।
मंत्रालय ने कैग से कहा कि वह मामले को गंभीरता से सुलझा रहा है। उसने कहा कि घुटन के मामले लोगों द्वारा दुरुपयोग करने के कारण होते हैं। इस्पात के कुड़ेदान के बारे में उसने कहा कि इसके चोरी हो जाने का खतरा होता है। अधिकारियों ने कहा कि रेल विभाग मौजूदा बायो टॉयलेट को बायो-निर्वात से स्थानांतरित करने पर विचार कर रहा है। नये टॉयलेट दुर्गंध से मुक्त होंगे तथा पानी की खपत में भी पांच प्रतिशत की कटौती होगी। इसके जाम होने में भी कमी आएगी।