जयपुर में हाल ही एक रिटायर्ड सरकारी अध्यापक को ऑनलाइन महंगा गिफ्ट का झांसा देकर बड़ी रकम ऐंठ ली। कस्टम से ही सेवानिवृत्त बड़े अधिकारी को भी इसी तरह का झांसा देकर बीस लाख रुपये ठग लिए गए। कभी पासवर्ड चेंज होने के नाम तो कभी बिना एटीएम उपयोग ही खाते से पैसे गायब हो रहे हैं। विदेशों में बैठे लोग महंगे गिफ्ट भेजने, लॉटरी निकलने का झांसा देकर बैंक खातों से राशि निकाल रहे हैं। लोगों के बैंक खातों, एटीम खातों के नंबर पता करके बैंक बैलेंस ही गायब कर रहे हैं। इस तरह की साइबर धोखाधड़ी लगातार हो रही है। जयपुर ही नहीं राजस्थान और देश-दुनिया में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें लेन-देन का अपराध सर्वाधिक है। पुलिस ने भी बड़े बड़े साइबर क्राइम माफिया गिरोह को पकड़ा है, जो कॉल सेंटर की तर्ज पर जयपुर में ही बैठकर देश-दुनिया में लोगों की जेब व बैंक खाली करने में लगे हुए थे। भरतपुर, अलवर के कई गांव इस तरह के अपराध के लिए कुख्यात है। बिहार, उत्तरप्रदेश से भी इस तरह के गिरोह संचालित हैं। एक दशक पहले तक ये इलाके गरीबी और पिछड़ापन लिए हुए थे, लेकिन देखते ही देखते आलीशान घर, कोठी और वाहनों की रेलमपेल दिखाई देनी लगी है। यह सारी तरक्की साइबर क्राइम के माध्यम से हो रही है। इनके हौंसले इतने बुलंद है कि इनमें ना तो पुलिस का खौफ है और ना ही समाज का। गिरफ्तारी के बाद भी ये नहीं सुधर रहे हैं, बल्कि गिरोह फैला रहे हैं। ऐसे में सरकार और शासन को चाहिए कि इस तरह के साइबर क्राइम में लिप्त लोगों, गांवों और गिरोह पर संयुक्त अभियान चलाकर इन पर कड़़ी कार्यवाही की जाए। इनके लिए अलग से कठोरतम कानूनी प्रावधान हो। साइबर ठगी से कमाई दौलत, कोठी और तमाम तरह की पूंजी को जब्त करने के प्रावधान किए जाएँ। तभी साइबर ठगी में लिप्त गिरोह पर अकुंश लग सकेगा और लोग ठगी से बच सकेंगे। इसके अलावा लोग साइबर ठगी से कैसे बचें, इसके लिए जनजागरण और जागरुकता संबंधी संदेश प्रचारित किए जाने चाहिए। लोगों को बताना होगा कि वे साइबर ठगी से कैसे बचें। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों में यातायात नियमों के संदेश के साथ साइबर ठगी से बचाव संबंधी कार्यक्रम चलाने होंगे। वहीं पुलिस को भी साइबर ठगों पर काबू में करने और साइबर ठगी पर लगाम लगाने के लिए प्रशिक्षित करना होगा। उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिलाकर और अलग से सेल बनाकर ऐसे गिरोह पर नजर रखनी होगी। क्योंकि लगातार साइबर क्राइम सामने आ रहे हैं। साइबर क्राइम के अनुसंधान में समय लगने के कारण अलग से सेल होना और प्रशिक्षित कर्मचारी होने जरुरी हो गया है। तभी पुलिस साइबर क्राइम करने वाले अपराधियों से एक कदम आगे चल सकेगी और सोच भी सकेगी। जैसे जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ रही है, वैसे ही अपराध भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में बदलते क्राइम अंदाज को देखते हुए पुलिस को भी बदलना होगा। तभी ऐसे साइबर अपराधों पर रोक लग सकेगी।

LEAVE A REPLY