जयपुर। भाजपा राजस्थान के अध्यक्ष पद से अशोक परनामी के इस्तीफे के बाद से ही नए अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। अध्यक्ष पद को लेकर एक दर्जन दावेदार है, जिनमें केन्द्रीय मंत्री, राज्य सरकार के मंत्री और सांसद भी दौड़ में है। अध्यक्ष पद के लिए संघनिष्ठ एक पूर्व प्रचारक के भी नाम की खूब चर्चा है। हालांकि कोई भी नया अध्यक्ष राज्य की राजनीतिक हालात और जातिगत समीकरणों को देखते हुए बनाया जाएगा।
पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व सभी पहलुओं पर चर्चा करके ही नया अध्यक्ष घोषित करेगा, जो ना केवल प्रदेश की राजनीति में जाना-पहचाना चेहरा होगा, बल्कि प्रदेश में जनाधार भी हो। प्रदेश के राजनीति परिदृश्य को देखते हुए लगता है कि ब्राह्मण और जाट समाज के रसूखदार नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। उप चुनाव सीट अजमेर, अलवर और मांडलगढ में सवर्ण समाज की भारी नाराजगी को देखते हुए सवर्ण समाज को अध्यक्ष पद मिलने की संभावना है। हालांकि एससी वर्ग से भी अध्यक्ष पद की चर्चा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नए अध्यक्ष पद के लिए केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पीपी चौधरी और अर्जुनराम मेघवाल का तो नाम है ही, साथ ही सांसद ओम बिडला, राज्य सरकार में केबिनेट मंत्री अरुण चतुर्वेदी, पार्टी में महासचिव रहे सतीश पूनिया और पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे व पूर्व विधायक सुरेन्द्र पारीक का नाम दौड़ में है।
एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उपजे हालत और सवर्ण समाज की तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए पार्टी सर्वमान्य और सभी समाज में पसंद किए जाने वाले नेता को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देगी। ब्राह्मण समाज में अरुण चतुर्वेदी, सुरेन्द्र पारीक, लक्ष्मीनारायण दवे का नाम चल रहा है तो वैश्य समाज से सांसद ओम बिडला का नाम है। राजपूत समाज से केबिनेट मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ दौड़ में है। इसी तरह एससी-एसटी वर्ग से केबिनेट मंत्री अर्जुनराम मेघवाल तो जाट समुदाय से सतीश पूनिया, पीपी चौधरी और फूलचंद भिण्डा दावेदार बताए जाते हैं। अब देखना है कि पार्टी नेतृत्व किस पर मुहर लगाता है।