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नयी दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ‘‘सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने’ और कश्मीर घाटी में गड़बड़ी फैलाने को लेकर लश्कर ए तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन समेत 12 लोगों के खिलाफ आज दिल्ली की एक अदालत में आरोपपत्र दायर किया। आरोपपत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि यहां पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी व्यापारी जहूर वटाली की मार्फत अलगाववादियों तक पैसे भेज रहे थे। वटाली अपना कमीशन काटकर यह पैसे अलगावादियों तक पहुंचाता था। वटाली को गिरफ्तार कर लिया गया है।

एनआईए ने यहां जारी एक बयान में बताया कि उसने अनुलग्नक के साथ 12,794 पन्नों का आरोपपत्र अज यहां एक विशेष अदालत में दायर किया और उससे जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के वित्त पोषण के संबंध में अपनी जांच जारी रखने की अनुमति मांगी।  अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तरुण सहरावत ने आरोपपत्र पर दलीलें सुनने के बाद इसकी अगली सुनवाई की तारीख 30 जनवरी तय की। तब अदालत आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के संबंध में निर्णय लेगी।  दस आरोपियों ने क्षेत्राधिकार के अभाव का हवाला देकर अदालत से इस आरोपपत्र का संज्ञान नहीं लेने की दरख्वास्त की।

एनआईए का कहना है कि सईद अलगाववादियों और कुछ अन्य लोगों तक पैसे पहुंचाने के लिए वटाली की सेवाएं लेता था और ये लोग ही घाटी के विभिन्न हिस्सों में पथराव की घटनाओं में सक्रिय रुप से शामिल रहे हैं। एजेंसी ने पाकिस्तान के आतंकवादियों — सईद और सलाहुद्दीन तथा 10 अन्य को राजद्रोह तथा अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम की कठोर धाराओं के तहत आरोपित किया है।  एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने जांच के दौरान उल्लेखनीय सामग्री और तकनीकी सबूत इकट्ठा किए। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान एजेंसी ने जम्मू कश्मीर, हरियाणा और दिल्ली में 60 से अधिक स्थानों पर छापा मारा तथा 950 अभियोजनयोग्य दस्तावेज जब्त किये। एजेंसी ने जांच के दौरान 300 से अधिक गवाहों से पूछताछ की।

आरोपपत्र में सईद और सलाहुद्दीन के अलावा दस अन्य लोग पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश, बशीर अहमद भट, फोटो पत्रकार कामरान युसूफ, हुर्रियत नेता नईम अहमद खान, फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, मोहम्मद अकबर खांडेय, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल आदि हैं।  सभी दस आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें अदालत में पेश किया गया। एनआईए के आरोपपत्र दायर करने के बाद आरोपियों के वकीलों ने कहा, ‘‘मुकदमा यहां क्यों दायर किया गया है जबकि सारी चीजें जम्मू कश्मीर से जुड़ी हैं? (आरोपपत्र का) संज्ञान नहीं लिया जाना चाहिए।’’

इस पर एनआईए की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि एनआईए प्रतिष्ठित एजेंसी है और उसने दिल्ली में आरोपपत्र दायर कर बिल्कुल सही किया है। इस बीच अदालत ने आरोपपत्र की प्रति देने की आरोपियों की मांग खारिज कर दी और कहा, ‘‘पहले मुझे इसे देखने दीजिए और संज्ञान लेने के बिंदु पर फैसला करने दीजिए।’’  एनआई ने हुर्रियत नेताओं पर सईद और सलाहुद्दीन तथा अपने ‘पाकिस्तानी आकाओं’ के इशारे पर काम करने और हिंसक प्रदर्शन की रणनीति की साजिश रचने का आरोप लगाया। एजेंसी ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शन कलैंडरों के रुप में इन लोगों को अपनी रणनीतियों की सूचना दी और इसके लिए उन्होंने अखबारों, सोशल मीडिया और धार्मिक नेताओं की मदद ली।

उसने कहा कि छापे के दौरान विभिन्न स्थानों से उसे प्राप्त दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों को खंगालने से यह सामने आया कि हुर्रियत नेता, आतंकवादी और पथराव करने वाले लोग एक सुनियोजित साजिश के तहत जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमला कर रहे थे और हिंसा भड़का रहे थे, पथराव कर रहे थे और अन्य विध्वसंक काम कर रहे थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि ये सारे कृत्य उनकी सुनियोजित साजिश का हिस्सा था जिसे भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़कर जम्मू कश्मीर को अलग करने के अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों और पाक एजेंसियों की मदद, मिलीभगत और वित्तपोषण से रचा गया था।

उसने दावा किया, ‘‘आरोपियों का गिरोह आरोपी वटाली जैसे हवाला कारोबारियों एवं अन्य के माध्यम से पाकिस्तानी एजेंसियों से पैसे ले रहा था और नियंत्रण रेखा पर कम बिल दिखाकर वस्तु विनिमय एवं नकद लेन-देन से भी अवैध कमाई कर रहा था।’’ उसने यह भी दावा किया कि विदेश में फर्जी कंपनियां बनाकर जम्मू कश्मीर में हुर्रियत नेताओं को पैसे भेजे गये । इस सभी पैसे का इस्तेमाल हिंसा भड़काने, आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया गया ताकि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हो, जरुरी सेवाएं बाधित हो, सामान्य जनजीवन पटरी से उतर जाए और इन सभी की एक ही मंशा थी देश की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता को खतरे में डालना। एनआईए के अनुसार 30 मई, 2017 को मामला दर्ज किया गया था और 24 जुलाई, 2017 को पहली गिरफ्तारियां हुई थीं।

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