राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने आज दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा कार्यान्वित की जा रही यमुना नदी अग्रभाग (रिवर फ्रंट) विकास परियोजना (आरएफडी) का निरीक्षण किया और अधिकारियों से कार्य में तेजी लाने को कहा।यमुना आरएफडी परियोजना का उद्देश्य बाढ़ से प्रभावित होने वाली जमीन का प्रत्यावर्तन, पुनर्जीवन एवं नवीनीकरण और इसे दिल्ली के लोगों के लिए सुलभ कराना है। परियोजना का एक प्रमुख घटक नदी अग्रभाग ‘वॉक्स’ लोगों को यमुना नदी के साथ एक सम्बंध विकसित करने में सक्षम बनाएगा।
परियोजना का एक विशेष फोकस राष्ट्रीय राजधानी में नदी की जैव-विविधता को पुनर्जीवित करने पर है।मिश्रा ने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर उन स्थानों का दौरा किया जो इस क्षेत्र में आते हैं, और जिनका पुराने रेल पुल से आईटीओ बैरेज तक फैले यमुना के पश्चिमी तट तक इस परियोजना के पहले चरण के रूप में विकास किया जा रहा है। विजय घाट के निकट क्षेत्र के एक विस्तृत निरीक्षण के बाद, निरीक्षण टीम ने डीटीसी डिपो एवं परित्यक्त राजघाट बिजली संयंत्र के निकट स्थानों पर कार्य का जायजा लिया। इस अवसर पर एक वृक्षरोपण कार्यकलाप भी आरंभ किया गया।
नदी के बाढ़ से प्रभावित होने वाली जमीन के प्रत्यावर्तन, पुनर्जीवन एवं नवीनीकरण से संबंधित इस व्यापक परियोजना को माननीय एनजीटी द्वारा गठित प्रमुख समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। इस परियोजना को ‘असिता’ का नाम दिया गया है जो कि यमुना नदी का दूसरा नाम है।
इस परियोजना में नदी के जल की पारिस्थ्िातकी से संबंधित प्रजातियों के साथ नदी के किनारे लगभग तीन सौ मीटर चौड़े एक हरित बफर क्षेत्र के सृजन की परिकल्पना की गई है। इसके अतिरिक्त, परिधीय सड़कों के साथ 150 मीटर के एक चौड़े क्षेत्र का हरित मार्ग के रूप में सार्वजनिक सुविधाओं, जिनमें पगडंडी तथा साइकिल ट्रैक शामिल होंगे, का भी विकास किया जाएगा।
नदी के जल से प्रभावित होने वाली जमीन की पारिस्थितकी प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए, दलदली भूमि का सृजन किया जाएगा जिससे कि बाढ़ के पानी को भंडारित किया जा सके, साथ ही भू-जल पुनर्भरण में भी सुधार लाई जा सके जिसका परिणाम अंततोगत्वा नदी के बाढ़ से प्रभावित होने वाली जमीन में जैव-विविधता के फलने-फूलने के रूप में सामने आएगा।नगर के शहरी ताने-बाने में नदी के समेकन के लिए पर्यावरण रूप से जाग्रत दृष्टिकोण का अनुसरण किया गया है। नदी की पारिस्थितकी प्रणाली के साथ मुक्त रूप से लोगों के परस्पर मिलने-जुलने के लिए एक लोकोन्मुखी जैव-विविधता क्षेत्र का सृजन किया जाएगा।
एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (परियोजना) श्री हितेश कुमार एस.मकवाना, लैंडस्केप की अपर आयुक्त सुश्री पूनम दीवान, डीडीए के पूर्वी क्षेत्र के मुख्य अभियंता श्री संजीव आर्या, बागवानी एवं लैंडस्केप के प्रमुख आयुक्त श्री श्रीपाल एवं डीडीए के उपाध्यक्ष की सलाहकार सुश्री सविता भंडारी भी निरीक्षण टीम का हिस्सा थीं।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा को निरीक्षण के दौरान यमुना आरएफडी परियोजना के बारे में जानकारी दी गई।इस परियोजना के तहत ऐसे जल निकायों/ दलदली भूमियों का विकास किया जा रहा है।यमुना नदी के बाढ़ से प्रभावित होने वाली जमीन को हरा-भरा बनाना इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण घटक है जिस पर फोकस किया जा रहा है।