Supreme Court

जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के 12 अक्टूबर, 2022 के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसके तहत अदालत ने दो से ज्यादा बच्चे वालों को सरकारी नौकरी के लिए अपात्र माना था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस नियम को चुनौती देते हुए दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह आदेश पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट की की एसएलपी पर दिए। खंडपीठ ने कहा की यह प्रावधान सरकार का नीतिगत निर्णय है और इसमें दखल देने की जरुरत नहीं है। इस नियम को परिवार नियोजन को बढावा देने के लिए किया गया है। एसएलपी में कहा गया कि वह वर्ष 2017 में सेना से रिटायर हुआ था। वहीं उसने वर्ष 2018 की कांस्टेबल भर्ती में आवेदन किया था, लेकिन उसके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया की राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के नियम के तहत एक जून, 2002 के बाद पैदा हुए दो या अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को नौकरी नहीं दी जा सकती। एसएलपी में कहा गया की यह नियम समानता के प्रावधान के खिलाफ है।
– बिना राशि दिए संपत्ति का हस्तांतरण कैसे हुआ: हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए व अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि बिना विक्रय पत्र और राशि का भुगतान किए बिना संपत्ति का हस्तांतरण कैसे किया गया। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की जनहित याचिका पर दिए। याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी ने बताया की वर्ष 2006 में अजमेर रोड के गजसिंहपुरा में हजारों वर्ग गज भूमि को मुकुंद गोयल ने जेडीए में समर्पित कर 90बी के तहत आवासीय में परिवर्तित कराया और जेडीए से एकल पट्टा ले लिया। वहीं बाद में संपत्ति का पंजीकरण भी हो गया। वहीं वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री आवास योजना के नाम से प्रार्थना पत्र पेश कर पहले वाली लीज डीड को निरस्त करवा लिया गया और केडिया ग्रांड होटल्स एंड पैलेस लिमिटेड निदेशक गौरव केडिया के नाम से पट्टा ले लिया। याचिका में कहा गया की एक बार संपत्ति की रजिस्ट्री होने के बाद उसे दूसरे पक्ष को बेचे बिना पट्टा ट्रांसफर नहीं होता है। इसके लिए स्टांप ड्यूटी के साथ ही आयकर भी देना पडता है। जबकि इस मामले में मिलीभगत कर लीजडीड को रद्द कराया गया और केडिया ग्रांट होटल एंड पैलेस के नाम ट्रांसफर किया गया।

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