sanyam lodha
sanyam lodha

सिरोही. पूर्व विधायक संयम लोढा ने कहा कि सिरोही जिले में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा गुलाब कोठारी बनाम राज्य सरकार की सिविल रिट याचिका में मास्टर प्लान 2011 एवम् 2031 के विपरित किये गये कार्यो में हाईकोर्ट के आदेशों की गलत क्रियान्विति कर अफसरो के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का काम किया जा रहा है। उन्होने कहा कि भ्रष्टाचार के चलते बनने दी गई अवैध इमारतो एव पट्टो का सिरोही जिले की किसी नगर पालिका के एक्शन प्लान में जिक्र तक नही है, मास्टर प्लान 2011 में प्रस्तावित हरीत पट्टी को अफसरो के भ्रष्टाचार ने पूरी तरह नष्ट कर दिया है। वर्ष 2009 के नगरपालिका अधिनियम के पश्चात बहुमंजिला इमारतो का निर्माण बिना पार्किंग सम्भव ही नही है और यदि किया भी गया है तो स्थानीय निकाय की ओर से पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नही किया जा सकता।

लोढा ने कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले के जरिये आम जनता के हित में काम करने की बजाय अंधाधुन्ध तरीके से गरीबो के यहां तोड फोड की जा रही है। सिरोही जिले में नगरपालिकाओ के द्वारा इस फैसले की क्रियान्विति के संबंध में बनाये गये एक्शन प्लान में दुकानदार द्वारा छाया के लिये लगाये गये अस्थाई सेड पर्दे एवम् सीढियो को हटाने का प्लान है। अस्थाई केबिनो को हटाकर लोगो की रोजी रोटी छीनी जा रही है। लोढा ने कहा कि हाईकोर्ट के 257 के पेज के फैसले में 206 बिन्दुओ की गई विवेचना एवम दिशा निर्देशो में से सिर्फ 1 बिन्दु संख्या 146 पर काम करके राज्य सरकार जिला प्रशासन स्थानीय निकाय अपने कर्तव्य की इतिश्री करना चाहता है। लोढा ने आरोप लगाया कि राजमार्गो एवं बाईपास पर नागरिको के मार्गोधिकार के पश्चात गहन वृक्षारोपण के लिये भूमि प्रावधान के संबंध में कोई पहल जिला प्रशासन के द्वारा नही की गई है। इसी तरह वाणिज्यिक इकाईयो में प्रवेश के रास्तो को लेकर किसी तरह की चर्चा नही है।
लोढा ने कहा कि आवासीय क्षेत्र में बहुमंजिला इमारतो के निर्माण को लेकर फैसला आने के पश्चात 6 माह गुजर जाने के बाद भी कोई सर्वे तैयार नही किया गया है। कृषि भूमि पर बहुमंजिला वाणिज्यक भवन वर्ष 2017 में बनाये गये जिनकी शिकायत की अर्जीया भी नागरिको ने दी लेकिन भ्रष्टाचार की आंधी में सब उड गई। बगैर वरिष्ठ नगर नियोजक की अनुमति के कृषि भूमि पर काटे गये भूखण्डो के पैसे खाकर मास्टर प्लान के विपरित पट्टे बनाये गये है। जिनका एक्शन प्लान में कोई जिक्र नही है, शहरी आवासीय क्षेत्र में कार्यरत औद्योगिक इकाईयो के संबंध में किसी तरह का विचार नही किया गया है। इनके आवासीय रूपान्तरण प्रस्तावित किये जाने चाहिये खास तौर पर नगरपालिका क्षेत्र में।
लोढा ने कहा कि हाईकोर्ट ने व्यवसायिक इमारतो में पार्किंग क्षैत्र बहाल करने के निर्देश दिये, जिनका निर्माण गरपालिका अधिनियम 2009 के लागू होने के बाद किया गया है। मास्टर प्लान के विपरित किये गये अवैध निर्माणो के गलत नियमन के संबंध में उक्त जन याचिका में दिशा निर्देश दिये गये है। जिनकी कोई पालना नही की गई है। इसी तरह चारागाह भूमि, नदी, तालाब, झील के संबंध मंे दिये गये विस्तृत आदेशो को लेकर कोई एक्शन प्लान तैयार नही किया गया है।
लोढा ने मांग की कि राजस्थान उच्च न्यायालय के उक्त ऐतिहासिक फैसले का लाभ आम जनता को मिले इसके लिए मास्टर प्लान 2011 एवम 2031 का पूरा अध्ययन कर एवम सभी नगरो का मास्टर प्लान के मुताबिक सर्वे कर गत 6 माह में विस्तृत कार्य योजना तैयार की जानी थी, लेकिन प्रशासन ने कुछ नही किया। लोढा ने आनन फानन में की जा रही तोड फोड की कार्यवाही को जनविरोधी और उच्च न्यायालय के निर्णय के विपरित बताया, लोढा ने मांग की कि उक्त न्यायालय के निर्णय की क्रियान्वित के लिये विस्तृत कार्ययोजना तैयार होने तक लोगो के रोजगार छिनने एवम् छाया के लिये की गई अस्थाई व्यवस्था तोडने फोडने पर रोक लगाई जाये। लोढा ने उक्त ऐतिहासिक फैसले से आम जनता को लाभान्वित करने के लिये प्रत्येक शहर में विस्तृत कार्ययोजना नही बनाई गई तो उच्च न्यायालय के आदेशो की पालना न करने के लिये जिम्मेदार अधिकारियो के खिलाफ उच्च न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया जायेगा।

LEAVE A REPLY