जयपुर। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार द्वारा एमबीसी में शामिल पांचों जातियों को ओबीसी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर ही आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। अतः अलग से एमबीसी के जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।
डॉ. चतुर्वेदी ने शून्यकाल में इस संबंध में उठाये गये मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि 2015 में सरकार एसबीसी बिल लेकर आई और उच्च न्यायालय के बाद इसे उच्चतम न्यायालय तक लेकर गई। उन्होंने कहा कि इस अवधि में जितनी भी नौकरियां पाइपलाइन में थीं, उनमें आरक्षण का लाभ दिया गया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि इस बिल की विसंगतियों को दूर कर सरकार पुनः 2017 में एमबीसी एक्ट लेकर आई और सदन में यह ध्वनिमत से पारित हुआ और कानून बना।
उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के पश्चात् कि आरक्षण 50 प्रतिशत के दायरे में ही दिया जा सकता है, राज्य सरकार ने इस दायरे में रहते हुए 1 प्रतिशत आरक्षण का लाभ इन जातियों को देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि गुरूकुल योजना, स्कूटी योजना, साईकिल वितरण एवं छात्रावास योजनाओं का लाभ भी इन्हें दिया जा रहा है।