पटना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट बंद करने के फैसले के बाद से विपक्षी दलों के निशाने पर आई केन्द्र सरकार व भाजपा पर फिर हमला बोला है। इस बार नोटबंदी से पहले देश के कई हिस्सों में जमीनें खरीदकर कालाधन खपाने का आरोप विपक्षी दल लगा रहे हैं। कांग्रेस, जदयू, आम आदमी पार्टी समेत सभी दलों ने इस तरह के आरोप लगाए हैं। जदयू ने भाजपा द्वारा देश के सभी जिलों में पार्टी कार्यालय भवन के लिए जमीन खरीद को कालाधन खपाने की साजिश करार दिया है। प्रदेश जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह, नीरज कुमार, राजीव रंजन प्रसाद और एमएलसी चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा नेताओं को नोटबंदी के फैसले की जानकारी दे दी थी। इसी वजह से भाजपा द्वारा बिहार समेत देश के 678 जिलों में नोटबंदी से पहले बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी गई। जदयू नेताओं ने इस मामले की न्यायिक जांच के साथ-साथ संयुक्त संसदीय समिति से भी जांच कराने की मांग की है। भाजपा ने अपने स्थानीय नेताओं द्वारा बिहार समेत देश के कई जिलों में नोटबंदी के कुछ हफ्ते पहले जमीन खरीदवाई। रजिस्ट्री के कागजात देखने पर साफ तौर पर पता चल रहा है कि जमीन की खरीदारी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर हुई है। बिहार में विधायक संजीव चौरसिया, एमएलसी दिलीप जायसवाल और लालबाबू प्रसाद के नाम पर जमीन खरीदी गई है। भाजपा को बताना चाहिए कि स्थापना के 36वें साल में ही पूरे देश में जमीन खरीदने की जरूरत क्यों महसूस हुई। वह भी नोटबंदी के ठीक पहले। शिक्षामंत्रीअशोक चौधरी ने कहा कि नोटबंदी की सूचना भाजपा के बड़े नेताओं के साथ ही आरएसएस और बड़े पूंजीपतियों को थी। इसी कारण भाजपा ने नोटबंदी के पहले 5 नवंबर को जमीन की रजिस्ट्री कराई। भाजपा को सभी संपत्ति को बताना चाहिए। आमलोगों को घंटों में लाइन लगाने वाले प्रधानमंत्री जी को नोटबंदी का सच बताना चाहिए। लोगों से शादी के लिए ढाई लाख रुपए निकालने पर पूरा ब्योरा मांगा जा रहा है, वहीं प्रधानमंत्री गोवा और यूपी में सभा करते हैं तो कोई ब्योरा नहीं दिया जाता है कि इसमें पैसा कहां से आया। उधर, भाजपा ने बिहार में खरीदी गई जमीन की कीमत 4.7 करोड़ बताई है। यह वर्तमान बाजार भाव से काफ ी कम है। जमीन रजिस्ट्री के कागज में हर खरीदार का पता भाजपा का दिल्ली मुख्यालय 11ए अशोक रोड लिखा हुआ है।