अहमदाबाद। कांग्रेस पार्टी के नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज राजग सरकार पर आरोप लगाया कि नोटबंदी और उसके बाद माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के उसके तौर तरीकों से देश के कारोबारी समुदाय के मन में कर आतंक का डर बैठ गया है। यहां अपनी पार्टी द्वारा आयोजित लघु एवं मझोले कारोबारियों के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि इस समय देश में निजी निवेश 25 बरस के न्यूनतम स्तर पर है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब स्थिति है। इस कार्यक्रम का आयोजन गुजरात विधानसभा चुनाव के सिलसिले में किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों के युवाओं के हालिया आंदोलनों से पता चलता है कि गुजरात की भाजपा सरकार केकामकाज से उनमें असंतोष है। गुजरात में भाजपा पिछले करीब 22 साल से लगातार सत्ता में है। मनमोहन ने कहा कि सिर्फ सूरत में 60,000 करघे बंद हो गए है। प्रत्येक 100 करघों पर यदि 35 लोगों का रोजगार छिनने की दर को लिया जाए, तो सूरत में सिर्फ एक उद्योग में 21,000 लोग बेरोजगार हो गए हैं। मनमोहन ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में भी स्थिति यदि अधिक नहीं तो इतनी ही खराब है।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी दोनों ने कारोबारी समुदाय के मन में कर आतंक का भय पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय अर्थव्यवस्था बैठ गई है जबकि वैश्विक वृहद आर्थिक परिस्थितियां अनुकूल थीं। कर आतंक के डर से निवेश को लेकर भरोसा डगमगा गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न कांग्रेस सरकारों ने नर्मदा बांध परियोजना को आगे बढ़ाया था। मुख्य नहर ने उस वर्ष पानी आया है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने आगे बढ़कर केंद्र की ओर से परियोजना के लिए धन उपलब्ध कराया था। मनमोहन ने गुजरात की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों का समर्थन करने में विफल रही है। वन अधिकार कानून, 2008 तथा अन्य सामाजिक संकेतकों के क्रियान्वयन को लेकर उसका प्रदर्शन सबसे खराब रहा है।