जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संदीप मेहता ने सिरोही जिला कलेक्टर, आयुक्त नगर परिषद सिरोही, स्वायत्त शासन विभाग के सचिव, सार्वजनिक निर्माण विभाग के सचिव एवं भारतीय जनता पार्टी को नोटिस जारी कर सिरोही में अम्बेडकर सर्कल पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय के लिये खसरा नंबर 2709 में आवंटित भूमि के मामले में यथास्थिति के आदेश दिये है। इन सभी को अपना पक्ष रखने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है। याचिका सिरोही नगर परिषद में कांग्रेस पार्षद दल के नेता ईश्वरसिंह ने दायर की है। मामले की अगली सुनवाई 18 मई को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता संदीप शाह ने पैरवी की। याचिका में 14 जुलाई 2017 व 18 अक्टुबर 2017 व 2 नवम्बर 2017 के आदेश को निरस्त करने की प्रार्थना की गई है।
याचिका में राजस्थान पुलिस की सीआईडी (अपराध शाखा) से दोषियो के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर बेशकीमती भूमि को आपराधिक षडयंत्र कर प्राप्त करने एवं राज्य सरकार को करोडो रूपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में कार्यवाही करने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया है कि प्रकरण में राज्य सरकार ने सिरोही जिला कलेक्टर की राय को भी दरकिनार किया। उन्होने लिखित में अवगत कराया था कि भूमि की बाजार कीमत 50 करोड रूपये से भी ज्यादा है इससे किसी तरह का कोई जनहित नही हो रहा है। भूमि का उपयोग गत 57 साल से सार्वजनिक निर्माण विभाग कर रहा था और इस भूमि की उन्हे आवश्यकता थी। आबादी क्षेत्र में आयी हुई वही राजस्व भूमि नगर परिषद को आवंटित की जा सकती है जो खाली हो तथा किसी के द्वारा अधिवासित न हो।
जनहित में उक्त भूमि का आवंटन निरस्त किया जाये। मास्टर प्लान में भू उपयोग परिवर्तन के लिए 19 जून 2017 को आपत्ति मांगी गई जिसका अखबारो में 24 जून 2017 को प्रकाशन हुआ। अनेक जनप्रतिनिधियो व नागरिको ने आपत्ति दर्ज करवाई लेकिन बगैर किसी सुनवाई के मास्टर प्लान में भू उपयोग परिवर्तन कर दिया गया। यह सब साफ जाहिर करता है कि यह पूर्व नियोजित था और आपत्तियां मांगना सिर्फ गैर कानूनी काम को एक आवरण देना भर था। इसमें आवंटन नीति 2015 को आधार बनाया गया है जो कि इस प्रकरण में लागू नही होती है। याचिका में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने उक्त भूमि कौडियो के भाव प्राप्त की है। इतना ही नही राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के निर्णय के विपरित उक्त आवंटन किया गया है। इस पूरे प्रकरण में भारतीय जनता पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए कार्यपालिका एवं सत्ता का घोर दुरूपयोग किया गया है। इसके साथ ही राजस्थान नगर पालिका ;क्पेचवेंस व िनतइंद संदकद्ध नियम 1974 का उल्लंघन किया गया है।
आवंटित भूमि की कीमत पचास करोड रूपये से ज्यादा है लेकिन 1,05,91,500 केी कीमत पर इसे आवंटित किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सिरोही जिला कलेक्टर के समक्ष 6़ फरवरी 2016 को भाजपा के सिरोही जिलाध्यक्ष ने पत्र देकर यह कहा कि सभी जिलो में उनके कार्यालय है लेकिन सिरोही में नही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस पर अपनी नाराजगी प्रकट की है। अतः उन्हे अतिशीघ्र भूमि आवंटित की जाये सिरोही जिला कलेक्टर ने उक्त पत्र 25 फरवरी 2016 को कार्यवाही करने के लिए सिरोही तहसीलदार को भेजा। भाजपा के सिरोही जिलाध्यक्ष ने 11 अप्रेल 2016 को सिरोही नगर परिषद के आयुक्त को पत्र देकर खसरा नंबर 2709 में रकबा 0.28 हैक्टेयर भूमि उन्हे आवंटित करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने को कहा।तहसीलदार सिरोही ने सिरोही जिला कलेक्टर को 12 अप्रेल 2016 को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा कि उक्त खसरा नंबर 2709 रकबा 0.28 हैक्टेयर भूमि अम्बेडकर सर्कल पर स्थित है और उस पर सार्वजनिक निर्माण विभाग ने चारदीवारी बना रखी है तथा अपना दरवाजा लगा रखा है। इसमें सार्वजनिक निर्माण विभाग के खाली ड्रम भी पडे हुए है। इस बीच राजस्व विभाग राजस्थान सरकार के संयुक्त सचिव ने 11 मई 2016 को सिरोही जिला कलेक्टर को पत्र भेजकर उक्त भूमि का आवंटन भाजपा को करने का आग्रह किया इसमें 8 दिसम्बर 2010 के अधिसूचना को आधार बनाने के निर्देश दिये गये जबकि उक्त अधिसूचना सिर्फ स्थानीय निकायो को राजस्व विभाग द्वारा आवंटित की जाने वाली भूमि की कीमत के संबंध में है।
सिरोही जिला कलेक्टर द्वारा सार्वजनिक निर्माण विभाग से 20 जून 2016 को उक्त भूमि के संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र अथवा तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता ने 23 जून 2016 को सिरोही जिला कलेक्टर को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा कि उक्त भूमि खसरा नंबर 2709 पर अधीक्षण अभियंता कार्यालय एवं गुण नियंत्रण विभाग का भवन बनाना प्रस्तावित है।इस बीच आश्चर्यजनक रूप से सार्वजनिक निर्माण विभाग के उपसचिव ने भाजपा कार्यालय के आवंटन हेतु उक्त भूमि सिरोही जिला कलेक्टर को सौपे जाने का पत्र 29 जुलाई 2016 को भेज दिया। सार्वजनिक निर्माण विभाग मुख्य अभियंता ने 8 अगस्त 2016 को सिरोही जिला कलेक्टर को पत्र भेजकर सार्वजनिक निर्माण विभाग से उक्त भूमि का कब्जा लेने हेतु अधिकारी नियुक्त करने का आग्रह किया। सिरोही जिला कलेक्टर ने 28 सितम्बर 2016 को तहसीलदार सिरोही को सार्वजनिक निर्माण विभाग से उक्त भूमि का कब्जा लेने हेतु अधिकृत किया। तहसीलदार सिरोही ने 29 सितम्बर 2016 को उक्त भूमि का कब्जा प्राप्त कर लिया।सिरोही जिला कलेक्टर ने 29 नवम्बर 2016 को नगर परिषद के आयुक्त को पत्र भेजकर राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत सिरोही नगर के मास्टर प्लान (2011-2031) में खसरा नंबर 2079 के भू उपयोग की स्थिति के बारे में जानकारी चाही। इससे पूर्व के मास्टर प्लान में भी उक्त खसरा नंबर के भूमि के भू उपयोग की जानकारी चाही। सिरोही नगर परिषद के आयुक्त ने 9 जनवरी 2017 के अपने पत्र के जरिये सिरोही जिला कलेक्टर को सूचित किया कि मास्टर प्लान (2011-2031) में उक्त खसरा नंबर 2079 का भू उपयोग आवासीय स्वीकृत किया गया है। यह मास्टर प्लान राज्य सरकार द्वारा 4 अगस्त 2014 को स्वीकृत किया गया था। सिरोही नगर के 2011 तक के मास्टर प्लान में खसरा नंबर 2709 का भू उपयोग सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी कार्यालयो के उपयोग के लिए आरक्षित स्वीकृत किया गया है।इस बीच सिरोही जिला कलेक्टर ने राजस्व विभाग के सचिव को 19 जनवरी 2017 के अपने पत्र के जरिये अवगत कराया कि सिरोही नगर का मास्टर प्लान (2011-2031) प्रभावी हो चुका है।
इसमें खसरा नंबर 2079 का भू उपयोग आवासीय स्वीकृत किया गया है। इससे पूर्व स्वीकृत 2011 के मास्टर प्लान में खसरा नंबर 2079 का भू उपयोग सरकारी एवं अर्द्धसरकारी कार्यालयो के उपयोग के लिए मंजूर किया गया था। जिला कलेक्टर ने राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ द्वारा रिट याचिका नंबर 1554/2004 गुलाब कोठारी बनाम राज्य में 12 जनवरी 2017 को दिये गये निर्णय के संदर्भ में लिखा की उक्त आवंटन उसके अनुरूप नही होगा। उक्त भूमि की सार्वजनिक निर्माण विभाग को आवश्यकता है।जिला कलेक्टर ने लिखा की उक्त भूमि मौके की है बेशकीमती है और ऐसी महत्वपूर्ण जगह पर उपलब्ध एकमात्र भूमि है। भूमि का 1960 से सार्वजनिक निर्माण विभाग उपयोग कर रहा है। भूमि की कीमत मौके की स्थिति के मुताबिक 50 करोड रूपये से अधिक है और ये भूमि डीएलसी रेट भर भाजपा को आवंटित की गई तो 50 करोड से अधिक राजकीय नुकसान होगा। अतः उक्त भूमि सरकारी कार्यालय के उपयोग के लिए रखी जाये।राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव ने अपने पत्र 25 अप्रेल 2017 के जरिये भूमि नगर परिषद को आवंटित करने के निर्देश दिये। इसके बाद भाजपा के जिलाध्यक्ष ने 3 मई 2017 को नगर परिषद आयुक्त को भूमि आवंटन के लिए पुनः आवेदन किया। आयुक्त ने 13 मई 2017 को सचिव स्वायत्त शासन से आरक्षित दर पर भूमि आवंटन की स्वीकृति मांगी। स्वायत्त शासन विभाग के अतिरिक्त निदेशक ने 23 मई को बोर्ड प्रस्ताव साईट प्लान इत्यादि मांगे। आयुक्त ने अतिरिक्त निदेशक को पत्र भेजकर मास्टर प्लान के संबंध में जानकारी दी।नगर परिषद ने उक्त खसरा के भू उपयोग के संबंध में आपत्ति मांगी, अनेक पार्षदो व नागरिको ने इस पर लिखित आपत्ति दर्ज करवाई जिनकी किसी तरह की कोई सुनवाई नही हुई। नगर परिषद सिरोही ने 25 अगस्त 2017 को भाजपा को भूमि आवंटन की समस्त कार्यवाही पूर्ण कर ली। आश्चर्यजनक यह है कि स्टेट ग्राण्ट एक्ट 1958 के अन्तर्गत उक्त भूमि की 7 नवम्बर 2017 की रजिस्ट्री करवाई गई।