जयपुर। कुख्यात बदमाश आनन्दपाल सिंह की फरारी भले ही राजस्थान पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है और उसके पकड़ में नहीं आने के चलते पुलिस की किरकिरी हो रही हो, लेकिन अपराध जगत की दुनिया में आनन्दपाल सिंह के बजाय अभी जेल में बंद राजू ठेहट की गैंग भारी पड़ रही है। आनन्दपाल सिंह की गैंग के 90फीसदी सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं। जो बचे हैं, वे भी भूमिगत है या पुलिस से बचते फिर रहे हैं। उन्हें यह भी डर है कि राजू ठेहट गैंग उनका सफाया नहीं कर दे। हालांकि आनन्दपाल सिंह व उसके भाई के फरार होने के कारण ठेहट गैंग में भी डर है कि कहीं यह गैंग उन पर हमला नहीं कर दे। अंदरखाने एक-दूसरे पर हमले के बजाय आनन्दपाल सिंह व उसकी बची-खुची गैंग खुद को पुलिस से बचाने में लगी हुई है, वहीं राजू ठेहट व उसके साथी जेल से ही ना केवल गैंग को मजबूती दे रहे हैं, बल्कि फिरौती और वसूली के धंधों में तेजी से पनप रहे हैं। जब से आनन्दपाल सिंह की गैंग पुलिस के हत्थे चढ़ी तभी से यह गैंग शेखावाटी और मारवाड में तेजी से फैली है। सटेरियों, भू-माफिया और हवाला कारोबारियों से तो वसूली करते हैं। वहीं विवादित जमीन मामलों में भी इस गैंग की दखलंदाजी बढऩे लगी है। हाल ही जयपुर के हरमाड़ा, झोटवाड़ा में विवादित जमीनों पर कब्जों को लेकर ठेहट गैंग के सदस्यों की शिकायतें सामने आई है, वहीं इनकी गिरफ्तारी भी हुई है। चर्चा तो यहां तक भी है कि जयपुर के एक टोल नाके को संभाल रही कंपनी से भी ठेहट गैंग ने मोटी फिरौती वसूली है। यह कंपनी संचालक भी शेखावाटी क्षेत्र का बताया जाता है। हालांकि किसी तरह की शिकायत पुलिस में नहीं की गई है। शेखावाटी और मारवाड क्षेत्र में भी यह गैंग वारदातें कर चुकी है। आनन्दपाल सिंह और उसकी गैंग निष्क्रिय होने से ठेहट गैंग का वर्चस्व बढऩे लगा है। इस गैंग के पास आपराधिक लोगों की तादाद भी ज्यादा है और शेखावाटी के आपराधिक पृष्ठभूमि के नेताओं का संरक्षण भी मिला हुआ है। अब तेजी से पनप रही इस गैंग की अवांछित आपराधिक गतिविधियों के चलते पुलिस को भी कानून व्यवस्था बिगडऩे का डर सताने लगा है। यहीं वजह है कि राजस्थान पुलिस अब आनन्दपाल सिंह के साथ जेल से ही आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे राजू ठेहट व उसकी गैंग पर भी नजर रखने लगी है। साथ ही इस गैंग के वांछित उन सदस्यों पर धरपकड़ की कोशिश कर रही है, जो बाहर रहते हुए अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। राज्य सरकार ने भी ऐसे संगठित अपराधिक गिरोहों के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दे रखे हैं। इसी के तहत राजस्थान पुलिस और एसओजी ने संगठित अपराधिक गिरोहों पर नजर रखनी शुरु कर दी है, खासकर राजू ठेहट गैंग पर, जो अभी सर्वाधिक तौर पर अपराध जगत में सक्रिय है। ठेहट गैंग के उन सदस्यों की सूची तैयार कर ली गई है, जो फरार हैं और वारदातें कर रहे हैं। साथ ही उन्हें आश्रय देने वाले लोगों पर नजर रखी हुई है। इनकी धरपकड़ के लिए मुखबिर तंत्र को सक्रिय कर रखा है। हाल ही में ठेहट गैंग के कुख्यात बदमाश भंवर लाल और मनोज चौधरी को गिरफ्तार किया था। ईनामी बदमाश जयपुर में रहकर आपराधिक वारदातों और फिरौती वसूलने के धंधे में लगे हुए थे। इसके अलावा शराब, क्रिकेट सट्टे और तस्करी के कामों को भी अंजाम दे रहे थे। भंवर लाल वे बदमाश है, जिसने आनन्दपाल सिंह को बीकानेर जेल में मरवाने के लिए वहां पिस्टल पहुंचाई थी। एसओजी उनसे पूछताछ के आधार फरार चल रहे सदस्यों को भी धरपकड़ में लगी हुई है। करीब दो दर्जन बदमाशों की सूची भी तैयार कर रखी है। जल्द ही दूसरे फरार बदमाश भी धरे जा सकते हैं।
एसओजी व राजस्थान पुलिस इस गैंग के सदस्यों द्वारा हथियाई या कब्जाई जमीनों के साथ बेनामी सम्पत्तियों की सूची तैयार करवा रही है। आनन्दपाल सिंह व उसके सदस्यों की सम्पत्तियों पर पुलिस ने कुर्क करने की कार्रवाई की थी, वैसे ही इस गैंग के सदस्यों पर कार्रवाई की जा सके।
– एक-दूसरे के खूनी हैं आनन्दपाल व ठेहट गैंग
आनन्दपाल सिंह और राजू ठेहट गैंग एक-दूसरे की सबसे अधिक खूनी गैंग है। इस गैंग में कई बार खूनी संघर्ष हो चुका है। आज भी एक-दूसरे के सदस्यों पर हमला करना आम है। ठेहट गैंग दो बार आनन्दपाल सिंह पर जानलेवा हमले कर चुकी है। बीकानेर जेल में तो आनन्दपाल सिंह पर पिस्टल से फायर करके हमला किया, लेकिन उसके साथी बलवीर बानूडा के सामने आने से आनन्दपाल सिंह तो बच गया, लेकिन बानूडा मारा गया। हालांकि हमलावर दोनों बदमाशों को भी आनन्दपाल सिंह व उसके साथियों ने मार दिया था। राजू ठेहट पर भी आनन्दपाल सिंह हमले करवा चुका है, लेकिन वह भी बचता रहा है।

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