नई दिल्ली। सस्ती और सुरक्षित टैक्सी सेवा का दावा करने वाली ओला-उबर टैक्सी सर्विस के कैब चालक नई दिल्ली में पिछले कई दिनों से हड़ताल पर हैं। इनका आरोप है कि कंपनियां कैब चालकों को कम शुल्क दे रही है। इससे खर्चा निकालना भारी पड़ रहा है। प्रोत्साहन राशि भी कम कर दी है। कैब चालकों में अधिकांश पढ़े लिखे हैं। अपनी अच्छी भली नौकरी छोड़कर इस आशा के साथ ओला-उबर टैक्सी सेवा से जुड़े थे कि वे भी कारोबारी दुनिया में आगे बढ़ पाएंगे और अच्छा पैसा मिलेगा। लेकिन यहां तो पैसा तो दूर टैक्सियों की किश्तें भरना भारी पड़ रहा है। ऐसे ही एक टैक्सी कैब चालक और पेशे से सिविल इंजीनियर रहे दामोदर प्रसाद शर्मा का कहना है कि मैंने 35 हजार की नौकरी छोड़कर एक लग्जरी टैक्सी कार ली। यह सोच ली है पहले तो खुद चलाएंगे, जब लोन चुका देंगे तो चालक और दूसरी कार ओर ले लेंगे। स्थिति यह है कि किश्तें भरना भारी पड़ रहा है। इस तरह से ताज होटल में अच्छी भली नौकरी टैक्सी कैब चालक बने और लग्जरी गाड़ी खरीदने वाले रामोतार अग्रवाल का भी यह कहना है कि टैक्सी शुल्क काफी कम है। प्रोत्साहन राशि भी कम कर दी है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। सवारियां नहीं मिल पाती है। स्थिति खराब है। हमसे बेहतर तो ऑटो ड्राइवर है। कैब चालक हमेन्द्र राठौड़ का कहना है कि अधिकांश कारोबारी और मालिक बनने का सपना देखकर इस लाइन से जुड़े, लेकिन आय और कंपनी सर्विस व राशि बिल्कुल भी सहमत नहीं है। गलत फैसला लिया है इन कंपनियों को ज्वाइन करके।