इस अवसर पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस दिशा में सामूहिक प्रयास के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), सीवीसी तथा अन्य विभागों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ‘’अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’’, के सिद्धांत, दायित्व के साथ पारदर्शिता, नागरिक केन्द्रीत और भ्रष्टाचार सहन नहीं करने के सिद्धांत पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस सॉफ्टवेयर का उद्देश्य यह देखना है कि भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जा रही है और अधिक विलम्ब के कारण ईमानदार अधिकारियों को किसी तरह का नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि नौकरशाही शासन के यंत्र के रूप में काम करता है और सरकार का उद्देश्य अधिकारियों को कार्य सहज वातावरण उपलब्ध कराना है।
उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर इस बात का नियंत्रण रखेगा कि ईमानदान अधिकारियों को धमकाया नहीं जा रहा। यह सरकार के पारदर्शी कामकाज को प्रोत्साहन देगा। सॉफ्टवेयर यह सुनिश्चित करेगा कि गलत आचरण करने वालों को छोड़ा न जाए और अच्छे व्यवहार करने वालों को दंडित न किया जाए। उन्होंने कहा कि अनुशासनात्मक कार्यवाही दो वर्षों के भीतर पूरी करने के प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि अनुशासन की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा घटाने से ईमानदार अधिकारियों को तेजी से राहत मिलेगी। प्रधानमंत्री के सचिव भास्कर खुलबे ने कहा कि विभागीय कार्यवाही को ऑनलाईन बनाया जाना डीओपीटी की बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि विभागी कार्यवाहियों में काफी समय लगता है और यह सॉफ्टवेयर इस समस्या का समाधान करेगा।
उन्होंने अनुशासनात्मक कार्यवाही से जुडे अधिकारियों के प्रशिक्षण पर बल दिया और कहा कि अनुशासन कार्यवाही देखने वाले अधिकारियों को नियमों और प्रक्रियाओं की पुस्तिका उपलब्ध कराई जानी चाहिए। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के एसएस और ईओ राजीव कुमार ने कहा कि डीओपीटी ने प्रक्रिया को सहज और पारदर्शी बनाने के लिए अनेक कदम उठाये हैं। इस सॉफ्टवेयर से विभागीय कार्यवाही की प्रकिया में तेजी आयेगी और प्रणाली और पादर्शी होगी।