– हाईकोर्ट के आदेश से रुक गया चुनाव, सील करनी पड़ीं मतपेटियां
जयपुर. जयपुर ग्रेटर नगर निगम मुख्यालय में गुरुवार को मेयर चुनने के लिए भाजपा और कांग्रेस के पार्षद वोटिंग कर चुके थे। काउंटिंग शुरू हो गई थी। करीब आधे घंटे बाद फैसला आने वाला था। तभी एक ई-मेल आया और काउंटिंग रोक दी गईं। राजस्थान के इतिहास में यह पहला मौका था, जब एक ई-मेल के कारण काउंटिंग रोककर मतपेटियां फिर से सील कर दी गईं। मेयर वोटिंग के दिन हाईकोर्ट ने सौम्या गुर्जर को महापौर पद से बर्खास्त करने का आदेश रद्द कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश से चुनाव रुक गया, मतपेटियां सील करनी पड़ीं। बता दे जयपुर ग्रेटर नगर निगम की तत्कालीन मेयर सौम्या गुर्जर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। सौम्या भाजपा से हैं और राज्य सरकार कांग्रेस की है। इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने नए मेयर के चुनाव की घोषणा की। सौम्या गुर्जर ने बर्खास्तगी के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई। उनकी जगह भाजपा ने रश्मि सैनी को प्रत्याशी बनाया। वहीं, कांग्रेस ने हेमा सिंघानिया को उम्मीदवार बताया। सौम्या गुर्जर की याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस महेंद्र गोयल ने मेयर को बर्खास्त करने का सरकार का आदेश रद्द कर दिया। उन्होंने सरकार को नया आदेश लाने का निर्देश दिया। सौम्या गुर्जर की बर्खास्तगी के आदेश पर हाईकोर्ट ने दोपहर 12 बजे के आसपास ही रोक लगा दी थी, लेकिन इसका लिखित आदेश नहीं आया था। उधर ग्रेटर नगर निगम मुख्यालय में वोटिंग चल रही थी, हाईकोर्ट का लिखित आदेश आने से पहले ही रिजल्ट आने की संभावना थी। इसी दौरान काउंटिंग शुरू हो गई। सौम्या गुर्जर के वकील एमएस सहारण ने दोपहर 1 बजे राज्य निर्वाचन आयुक्त और रिटर्निंग ऑफिसर को ई-मेल किया और हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए चुनाव प्रक्रिया रोकने का आग्रह किया। राज्य निर्वाचन आयोग ने ई-मेल मिलने के कुछ ही देर बाद काउंटिंग रोककर मतपेटियां सील करा दीं। ग्रेटर मेयर के लिए दोपहर तक सभी 146 पार्षद वोटिंग कर चुके थे। काउंटिंग चल रही थी। लेकिन, रिजल्ट से ठीक पहले चुनाव प्रक्रिया रोकी गई। सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि उनके खिलाफ हुई न्यायिक जांच में उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी का आदेश रद्द करते हुए सरकार से आधे घंटे में नया आदेश मांगा था। कोर्ट ने सरकार से कहा कि सौम्या गुर्जर को सुनवाई का पूरा मौका मिले। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि 10 अगस्त 2022 की न्यायिक जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार सौम्या गुर्जर को शो कॉज (कारण बताओ) नोटिस जारी करे। सौम्या को व्यक्तिगत सुनवाई का पर्याप्त मौका दिया जाए। इसको लेकर सरकार एक नया आदेश जारी करे। हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि 27 सितम्बर 2020 का आदेश अब सर्वाइव नहीं कर रहा है, ऐसे में नगर निगम ग्रेटर जयपुर के चेयरपर्सन के चुनाव नहीं हो सकते है। वहीं, एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में तर्क दिया कि सरकार सौम्या गुर्जर को फिर से नोटिस जारी करेगी। माना जा रहा है कि सरकार के अगले एक्शन तक सौम्या मेयर रह सकती हैं। सरकार अब नोटिस देकर सौम्या का पक्ष सुनने के बाद सस्पेंड कर सकती है, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगेगा।
– हाईकोर्ट के आदेश से कांग्रेस सरकार के चेहरे पर तमाचा:पूनिया
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा हाईकोर्ट के आदेश से राजस्थान की कांग्रेस सरकार के चेहरे पर तमाचा पड़ा है। सरकार ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की चुनी हुई मेयर को हटाने की साजिश की। पूनिया ने कहा किसी भी हालत में जयपुर ग्रेटर मेयर तो बीजेपी का ही रहेगा, क्योंकि हमारे पास बहुमत है, मेजोरिटी को किसी भी सूरत में कांग्रेस नकार नहीं सकती है। बीजेपी मुख्यालय जयपुर में मीडिया से रूबरू होकर पूनिया बोले सरकार तो बदले और बदनीयती की राजनीति शुरू से कर रही थी। पिछले दो बरसों से जयपुर के साथ अन्याय किया। जयपुर समेत बीजेपी के जितने निकाय थे, उनको बिना वजह डिस्टर्ब करने का काम किया। विकास में बाधा बनी। वहां पर राजनीतिक षड़यंत्र रचे। जब चारों तरफ से रास्ते बंद हुए और उन्हें सफलता नहीं मिली तो पीछे से दरवाजे से अपने लोगों को काबिज करने की कोशिश की। अब कोर्ट ने एक तरीके का फैसला लिया है, इसका रिजल्ट किस रूप में आता है यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। पार्टी का पूरा पार्षद दल एकजुट था। सबने मतदान किया। काउंटिंग बाकी थी। अब कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने उसे रोका है। आगे का प्रोसेस क्या रहेगा, वो तो कोर्ट और चुनाव आयोग तय करेंगे। लेकिन जैसी भी परिस्थिति रहेगी पार्टी उसका आकलन करके आगे बढ़ेगी। सौम्या गुर्जर को सुनवाई का पूरा मौका देने के कोर्ट के आदेश पर पूनिया ने कहा अगर सरकार की नीयत साफ होती तो इस तरह के एपिसोड नहीं होते। कोर्ट क्या करता है, आगे वह क्या कार्रवाई करेगा, ये तो भविष्य के गर्भ में है। इसलिए इस पर टिप्पणी करना सही नहीं होगा। कुल मिलाकर इससे सरकार पूरी तरह एक्सपोज हुई है। पूनिया ने कहा किसी भी हालत में मेयर तो बीजेपी का ही रहेगा, क्योंकि हमारी मेजोरिटी है। हमारा बहुमत है, जिसे चाह कर भी वो किसी भी तरह से नकार नहीं सकते हैं।
सौम्या गुर्जर से इस्तीफा लेने की सैनी समाज की मांग के सवाल पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बोले वो फैसला कोर्ट का है। पार्टी तो कोर्ट के फैसले के बाद ही कुछ स्थिति को स्पष्ट कर पाएगी। समाज और व्यक्ति क्या सोचते हैं, वो अलग बात है। हमने समाज का सम्मान करते हुए ही रश्मि सैनी को उम्मीदवार बनाया था। स्वाभाविक है परिणाम आता, तो रश्मी सैनी ही मेयर बनती।

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