सदैव आपकी सुरक्षार्थ का नारा देकर लोगों की सुरक्षा का दावा करने वाली राजस्थान पुलिस पर कुछ पुलिसकर्मियों की गैर कानूनी हरकतों से दाग लग गया। जिन पुलिसकर्मियों को रक्षक की भूमिका में होना चाहिए, वे पुलिस वर्दी में भक्षक बनकर लुटेरों की तरह लूटपाट करते पकड़े गए हैं। एक के बाद एक ऐसी घटनाएं राजस्थान पुलिस के कर्मियों द्वारा सामने आ रही है। ऐसा ही एक शर्मनाक कृत्य राजस्थान के पाली जिले में शिवपुरा थाने के थानेदार समेत पांच पुलिसकर्मियों द्वारा किया गया। इन्होंने एक सोची समझी साजिश के तहत एक ज्वेलर और उसके दोस्त का ना केवल अपहरण किया, बल्कि दो लाख रुपए और 4 लाख की ज्वेलरी भी लूट ली। डोडा पोस्ट समेत अन्य झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर व्यापारी और उसके दोस्त को डराया-धमकाकर यह गैर कानूनी कृत्य अंजाम दिया। डरे-सहमे व्यापारी ने इन लुटेरे पुलिसकर्मियों के चंगुल से छूटने के बाद अपने साथी की मदद से पाली पुलिस अधीक्षक को आपबीती बताई। पाली एसपी राजन दुष्यंत ने मामले की जांच करवाई और सीसीटीवी फुटेज में दोषी पुलिसकर्मियों के कब्जे में व्यापारी व उसके दोस्त के फुटेज सामने आए तो शिवपुरा के थानेदार और दो कॉन्स्टेबल को गिरफ्तार किया। बाकी फरार चल रहे हैं। पांचों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस में कार्यरत दागी कर्मियों की करतूतों को सामने ला दिया है,कि वे किस स्तर पर गिर सकते हैं। ऐसी घटनाएं खूब सामने आ रही है। उदयपुर में फरियाद लेकर आई विवाहिता से एक पुलिसकर्मी ने थाना परिसर में ही दुष्कर्म कर दिया। शराब व मादक पदार्थ तस्करी में बदमाशों के साथ मिलकर पुलिसकर्मियों ने अपने ही साथी पुलिसकर्मियों पर फायरिंग करवा दी। जमीनों पर कब्जे करवाने को लेकर पुलिस की कार्यशैली बदमाशों के पक्ष में और पीडि़तों के खिलाफ रही है। जयपुर के विश्वकर्मा थाना, आमेर थाना और मानसरोवर थाना पुलिस क्षेत्र में दिनदहाड़े दर्जनों बदमाशों ने पुलिस की मौजूदगी में हथियारों के दम पर जमीनों पर कब्जे किए हैं। वो भी पत्रकार, वकील और व्यापारी वर्ग से जुड़ी जमीनों पर। मीडिया की सुर्खियों में खूब उछला, लेकिन क्या मजाल कि सदैव आपकी सुरक्षार्थ का दावा करने वाली राजस्थान पुलिस बदमाशों पर एक्शन लेती दिखी हो और बदमाशों के साथ खड़े थानेदारों और दूसरे पुलिसकर्मियों पर एक्शन लिया हो। जमीनों पर कब्जों को लेकर खून-खराबा हो या जानें चली जाएं, सरकार और पुलिस पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। मामला ज्यादा उछलने पर कुछ पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करके या संस्पेंड करके इतिश्री कर दी जाती है। रिश्वत लेने वालोंं में हर तीसरा चौथा कर्मी पुलिस का है। रिश्वतखोरी में गिरफ्तार अफसरों व कर्मियों को मलाईदार पोस्टिंग दी जा रही है। एक पुलिस अफसर और महिला पुलिसकर्मी का चर्चित वीडियो राजस्थान पुलिस के चरित्र पर दाग लगा गया। ऐसी कई घटनाएं राजस्थान पुलिस की छवि पर लगातार दाग लगा रही है। ये दाग पुलिस के कर्मी और अफसर ही लगा रहे हैं। यह नहीं है कि सभी अधिकारी व कर्मी दागी है, लेकिन कुछेक लोगों की अनैतिक व गैरकानूनी कृत्यों से पूरे समाज और सिस्टम को बदनाम झेलनी पड़ती है। हर कोई शक से देखता है। जनता के बीच पुलिस की छवि निष्पक्ष और स्वच्छ रहे, इसके लिए राजस्थान पुलिस को दागदार पुलिसकर्मियों व अधिकारियों को सिस्टम से बाहर करना होगा। ऐसे अफसर व कर्मियों की शिकायत आने पर तत्काल एक्शन होना चाहिए। ऐसे दागी लोगों को फील्ड पोस्टिंग से दूर रखा जाए। जो रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाए या दुराचार में लिप्त रहा है तो उसे सर्विस से बर्खास्त करना चाहिए ना कि छह या साल बाद फिर से पोस्टिंग दे दी जाए। पोस्ट पर आते ही वे फिर से अपने काले कारनामों में लग जाते हैं। ऐसे दागी कई अफसर फील्ड पोस्टिंग में है और उनके कारनामे भी खूब सामने आते रहते हैं। राजस्थान सरकार को दागी पुलिसकर्मियों व कर्मियों के लिए कठोर कानूनी प्रावधान लागू करने होंगे। पुलिस व सरकारी कर्मी जनता से सीधे जुड़े हुए हैं। जनता के साथ रिश्वत लेने, दुराचरण, सेवा नियमों के उल्लंघन करते समेत अन्य गैर कानूनी कृत्यों में दोषी पाए जाने पर उन्हें सरकारी सेवा से मुक्त करने के प्रावधान करने होंगे, तभी शासन में सुधार दिखेगा और जनता के साथ न्याय भी होगा।
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