जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक माह में रोडमैप पेश कर बताने को कहा है कि बच्चों के खिलाफ होने वाले लैंगिक अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें कैसे खोली जाएंगी। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव एनसी गोयल और श्रम सचिव टी रविकांत अदालत में पेश हुए। मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार के अधीन चल रही कोर्ट्स को हाईकोर्ट प्रशासन के अधीन करने के संबंध में निर्णय कर अदालत को अवगत करा दिया जाएगा। अदालत ने मुख्य सचिव को कहा कि पोक्सो कानून के तहत बच्चों के लिए हर जिले में अलग से कोर्ट खोली जानी चाहिए। अदालत ने श्रम सचिव से कहा कि कोटा श्रम कोर्ट के न्यायाधीश ने संसाधन मुहैया कराने के लिए पत्र लिखा, लेकिन सरकार ने पत्र का जवाब तक नहीं दिया। जबकि प्रदेश में सबसे अधिक प्रकरण वहां चल रहे हैं। कोर्ट के अधिकारी सरकार की दया पर नहीं रह सकते। अदालत ने कहा कि जब तक सभी श्रम न्यायालयों में पर्याप्त स्टाफ मुहैया नहीं करा दिया जाता, तब तक श्रम सचिव बिना स्टाफ के काम करे। तभी उन्हें समस्या का पता चलेगा।
वहीं याचिकाकर्ता कहा गया कि पोक्सो अधिनियम की धारा 28 में प्रावधान है कि हर जिले में इसके लिए अलग से विशेष अदालत खोली जाए, लेकिन केवल जयपुर जिले में ही विशेष अदालत गठित की गई है। कानून में प्रावधान है कि पीडित बच्चे की पहचान सार्वजनिक नहीं हो। ऐसे में विशेष न्यायालय मुख्य कोर्ट परिसर से अलग रखा जाए।
जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश जारी करते हुए एक माह में पालना रिपोर्ट पेश करने को कहा है।