जयपुर। चिडावा-झुझुनूं में 2०16 में की गई नकली नोटों के खिलाफ कार्यवाही के मामले में जाली नोट मामलों की विशेष अदालत में स्पेशल जज गण्ोश कुमार ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कडी टिप्पणी करते हुए मामले को फर्जी बताकर आरोपी बनाए गए लाल सिंह को बरी कर दिया एवं आदेश की प्रति आईजी, जयपुर रेंज और गृह सचिव को भेजते हुए दोषी तत्कालीन चिडावा थानाधिकारी रणजीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने रणजीत सिंह और परिवादी शराब दुकान में सेल्समैन विनोद कुमार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई आरंभ की जाए। कोर्ट ने आदेश में कहा कि जांच अधिकारी रणजीत सिंह ने अपनी मर्जी के अनुसार काम कर मनमानी की। थानाधिकारी रणजीत सिंह ने केवल परिवादी एवं ठेकेदार सत्यवीर सिंह की बातों को सही मानकर आगे जांच की जरूरत ही महसूस नहीं की। एक जिम्मेदार थानाधिकारी से उम्मीद की जाती है कि वह कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करेगा, क्योंकि इससे दूसरे व्यक्ति की दैहिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है। मैं चाहे ये करु या मैं चाहे वो करु मेरी मर्जी का सिद्धान्त नहीं चलता। थानाधिकारी ने कर्त्तव्य का निर्वहन नहीं किया। लगता है अभियुक्त को झुठा फंसाया गया है, नोट और कहीं बरामद हुए है, अभियुक्त की हाईकोर्ट से भी जमानत खारिज हुई थी, जो घोर लापरवाही का द्योतक है। पीपी हेमन्त सिन्धी ने कोर्ट को बताया कि 14 नवम्बर, 2०16 को शराब की दुकान के सैल्सेन विनोदकुमार ने चिडावा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि लालसिंह उसके पास शराब लेने आया। लालसिंह की ओर से 2 हजार रुपए का नकली नोट देने पर परिवादी ने उसे पकड लिया और तलाशी ली। जिसमें 2 हजार रुपए तीन नकली नोट और मिले, जिस पर पुलिस को रिपोर्ट दी। पुलिस ने कोई जांच नहीं की और उसे गिरफ्तार कर अदालत में चालान पेश कर दिया था।