जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान के प्रेरकों को राहत देते हुए राजस्थान सरकार को आदेश दिए हैं कि वे उन्हें साढ़े सात हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय दे। साथ ही 11 मई 2016 के आदेश से लेकर आज तक प्रार्थी प्रेरकों के बकाया 54 लाख रुपए पांच जुलाई तक जमा कराने को कहा है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश केएस झवेरी व वीके माथुर की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश प्रेरक सुरेश चन्द्र व अन्य की याचिकाओं पर दिया। हाईकोर्ट एकलपीठ ने 30 जून को राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि प्रेरकों को कुशल श्रमिक या अन्य विभागों के समान कर्मचारियों के समान वेतन दें और हर साल उनके वेतन में बढ़ोतरी करें। इस आदेश को राज्य सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी, लेकिन खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए 11 मई 2016 को राज्य सरकार की 24 अपीलों को खारिज कर दिया।
खंडपीठ के आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, वहां से हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगा पाई। इस दौरान प्रेरकों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कहा कि अदालती आदेश के बाद भी उन्हें न्यूनतम वेतनमान नहीं दिया जा रहा है।