जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने गोविन्दगढ़ पंचायत समिति की चरागाह भूमि का भू-उपयोग बदलने और उस पर निर्माण को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के परिवार से जुड़ी भूमि मामले में यथास्थिति के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश नरेन्द्र शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा गया। जिसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट की ओर से नोटिस जारी होने के बाद विवादित भूमि पर भूमाफियाओं ने निर्माण कार्य तेज गति से करना शुरू कर दिया है। ऐसे में मामले में यथास्थिति के आदेश दिए जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने प्रकरण में यथास्थिति के आदेश दिए हैं।
याचिका में अधिवक्ता अनिल शर्मा ने बताया कि मलिकपुर की पुराना खसरा नंबर 364 की 74 बीघा भूमि सम्वत् 2012 के गिरदावरी रिकॉर्ड में गोचर भूमि के रूप में दर्ज थी। तब से इस भूमि को श्मशान, स्कूलों के खेल मैदान सहित अन्य सार्वजनिक कामों में लिया जा रहा है। वहीं बाद में राजस्व विभाग के कर्मचारियों से मिलीभगत कर इस भूमि का भू उपयोग बदल कर अवैध रूप से कागाजों में आवंटन किया गया। इस भूमि में से 24 जुलाई 1968 को 57 बीघा जमीन की खातेदारी मोहनसिंह के पक्ष में की गई। मोहनसिंह ने 32 बीघा भूमि बेच दी। याचिका में कहा गया कि मोहनसिंह के वारिसों ने शेष भूमि का तीन चौथाई हिस्सा पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत की पत्नी सूरजकंवर को बेच दिया। सूरजकंवर की मौत होने पर यह भूमि नरपतसिंह राजवी के पुत्र विक्रमादित्यसिंह के नाम पर दर्ज हुई। याचिका में कहा गया कि करीब एक साल पहले इस भूमि को बिल्डर्स को बेच दिया। वहीं कलक्टर ने भी भूमि को चारागाह नहीं मानते हुए याचिकाकर्ता की आपत्तियों को खारिज कर दिया।