जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल ऑफ आर्ट्स और राजस्थान संगीत संस्थान के वरिष्ठ व्याख्याताओं को राहत देते हुए राजस्थान शिक्षा सेवा (कॉलेजिएट ब्रांच)नियम में किए गए संशोधन को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ताओं को नियमित करने की तिथि से वरिष्ठता मानते हुए सूची बनाए। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश सुनीत घिल्डियाल व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता सार्थक रस्तोगी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता करीब तीन दशक पहले दोनों संस्थानों में अस्थाई तौर पर लगे थे। वहीं कुछ अभ्यर्थियों का आरपीएससी के जरिए समान पद पर चयन हो गया। जबकि कुछ अभ्यर्थी 1996 में हाईकोर्ट के आदेश से नियमित हो गए। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2009 में आदेश जारी कर वर्ष 1986 में बनाए राजस्थान शिक्षा सेवा (कॉलेजिएट ब्रांच)नियम में संशोधन कर दिया। संशोधित नियम के तहत अस्थाई रूप से लगने वाले व्याख्यातों की स्क्रीनिंग कर नियमित करने और वरिष्ठता नियमित करने की तिथि से मानने का प्रावधान किया। याचिका में संशोधित नियम को चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता पहले ही नियमित हो चुके हैं। ऐसे में अब पुन: स्क्रीनिंग कर उनकी सालों पुरानी वरिष्ठता को कैसे समाप्त किया जा सकता है। वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने दोनों संस्थानों को वर्ष 2007 में ही कॉलेज का दर्जा दिया है। ऐसे में याचिकाकर्ता कॉलेज व्याख्याता का लाभ पिछली अवधि से नहीं ले सकते हैं।
जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संशोधित नियमों को रद्द करते हुए याचिकाकर्ताओं को नियमित करने की तिथि से वरिष्ठता तय करने को कहा है।