Court ordered

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रबोधक भर्ती-2008 में चयनीत याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों को वर्ष 2008 में चयनीत अन्य अभ्यर्थियों के समान सेवा परिलाभ व वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश वीएस सिराधना की एकलपीठ ने यह आदेश करनाराम देवासी व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2008 में प्रबोधक पद पर भर्ती निकाली। जिसमें कुछ अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दी गई।

वहीं राज्य सरकार की ओर से याचिकाकर्ता के अनुभव प्रमाण पत्र को नहीं मानने के चलते उसे नियुक्ति नहीं मिली। हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने अनुभव प्रमाण पत्र को स्वीकार किया और याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2010 में नियुक्तियां दी गई। याचिका में कहा गया कि अब याचिकाकर्ताओं को नौ साल की सेवा पूर्ण करने का लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि वर्ष 2008 में चयनीत दूसरे अभ्यर्थियों को इसका लाभ दिया जा चुका है। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता और दूसरे अभ्यर्थी एक ही भर्ती में चयनीत हुए हैं। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को भी वर्ष 2008 से सेवा परिलाभ व वरिष्ठता दी जाए।जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ताओं को पूर्व में नियुक्त अन्य अभ्यर्थियों के समान सेवा परिलाभ व वरिष्ठता का लाभ देने के आदेश दिए हैं।

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