जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने वीआरएस प्रार्थना पत्र पर निर्णय नहीं करने के चलते त्यागपत्र देने वाले रोडवेजकर्मी की पत्नी को समस्त पेंशन परिलाभ अदा करने को कहा है। न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश मोहिनी देवी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता तरुण चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति जेनचंद 1979 को कंडक्टर के तौर पर रोडवेज में नियुक्त हुए थे। खराब स्वास्थ्य के चलते जुलाई 2005 में उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन किया, लेकिन रोडवेज ने उस पर कोई निर्णय नहीं किया। वहीं मई 2006 में स्वास्थ्य कारणों के चलते उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया। जिसे रोडवेज ने तत्काल स्वीकार कर लिया। त्यागपत्र देने के तत्काल बाद उन्होंने प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि वह सेवानिवृत्त होना चाहते हैं न कि त्यागपत्र देना चाहते हैं। वहीं बाद में उनकी मौत हो गई। इस पर मृतक की विधवा की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर का पेंशन परिलाभ देने की गुहार की। जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने तीन माह में रोडवेज को समस्त पेंशन परिलाभ अदा करने के आदेश दिए हैं।