-कर्नाटक में 3700 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन
बेंगलुरु. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कर्नाटक के मंगलुरु पहुंचे। यहां उन्होंने 3700 करोड़ रुपये की कई औद्योगिक परियोजनाएं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। मोदी ने जनसभा को भी संबोधित करते हुए कहा वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट प्रोग्राम के जरिए कर्नाटक में कारीगरों के लिए बाजार के अवसर खोल सकेंगे। इन परियोजनाओं से व्यापार करने में आसानी के साथ व्यापार को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। नया भारत नए अवसरों की भूमि है। जिन्हें आर्थिक दृष्टि से छोटा समझकर भुला दिया गया था, हमारी सरकार उनके साथ खड़ी है। छोटे किसान, व्यापारी, मछुआरे, हों या ठेले वाले हों, ऐसे करोड़ों लोगों को पहली बार देश के विकास का लाभ मिलना शुरू हुआ है। कर्नाटक में मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं। हम मछुआरों को उनकी आय बढ़ाने के लिए बेहतर नावें और तकनीक देने पर भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा पिछले 8 सालों में मेट्रो सुविधाओं वाले शहरों की संख्या में चार गुना वृद्धि हुई है।
कर्नाटक में भी गरीबों के लिए 8 लाख से ज्यादा पक्के घरों के लिए मंजूरी दी गई है। मध्यम वर्ग के हजारों परिवारों को भी अपना घर बनाने के लिए करोड़ों रुपए की मदद दी गई है। जल जीवन मिशन के तहत सिर्फ 3 सालों में ही देश में 6 करोड़ से ज्यादा घरों में नल कनेक्शन की सुविधा पहुंचाई गई। कर्नाटक के भी 30 लाख से ज्यादा ग्रामीण परिवारों तक नल कनेक्शन से पानी पहुंचा है। पिछले 8 सालों में देश में गरीबों के लिए 3 करोड़ से ज्यादा घर बनाए गए हैं। 21वीं सदी में भारत ‘ग्रीन ग्रोथ’ के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। कर्नाटक की रिफाइनरियों में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक इस उद्देश्य के अनुरूप है। अमृत काल के दौरान, देश ग्रीन ग्रोथ और ग्रीन जॉब्स की मानसिकता के साथ आगे बढ़ रहा है। मेक इन इंडिया की सफलता से भारत के विकास के लिए निर्यात बढ़ाना महत्वपूर्ण है। इसका समर्थन में बेहतर लॉजिस्टिक्स के लिए अपना बुनियादी ढांचा विकसित कर रहे हैं। आयुष्मान भारत ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। योजना के तहत देश के करीब 4 करोड़ गरीबों को अस्पताल में भर्ती रहते हुए मुफ्त इलाज मिल चुका है। इससे गरीबों के करीब 50 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचे हैं। आयुष्मान भारत का लाभ कर्नाटक के भी 30 लाख से अधिक गरीब मरीजों को मिला है। कुछ दिनों पहले जीडीपी के जो आंकड़े आए हैं। वो दिखा रहे हैं कि भारत ने कोरोना काल में जो नीतियां बनाईं। जो निर्णय लिए, वो कितने महत्वपूर्ण थे। पिछले साल इतनी रुकावट के बावजूद भारत ने 670 बिलियन डॉलर यानी 50 लाख करोड़ रुपए का टोटल एक्सपोर्ट किया

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