जयपुर। आज देश के लिए ऐतिहासिक दिन है तो पड़ौसी देश पाकिस्तान के लिए बड़ा ही दुखद और दर्द देने वाला रहा है। साथ ही एक ओर पड़ौसी देश बांगलादेश के लिए खुशी और स्वतंत्रता का दिन है। क्योंकि आज 16 दिसम्बर को हमारे देश के जाबांजों को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारी जीत मिली थी। इस विजय के बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे और विश्व पटल पर बांग्लादेश नामक नए राष्ट्र का उदय हुआ था। इसी दिन पूर्वी पाकिस्तान, बांग्लादेश बन गया था। पाकिस्तान के 92 हजार सैनिकों को बंदी बनाया गया था। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध की पृष्ठभूमि तब बननी शुरू हुई थी, जब पूर्वी पाकिस्तान में सत्ता की कमान वहां के लोकप्रिय नेता शेख मुजीबुररहमान को सौंपने की जनता की भारी मांग को पाकिस्तान के सैन्य शासकों ने मानने से इंकार कर दिया था। बंग बंधु के नाम से लोकप्रिय शेख मुजीबुर रहमान को पूर्वी पाकिस्तान स्टेट इलेक्शन में 169 में से 167 सीटें हासिल हुई थीं और उन्हें पाकिस्तान संसद के निचले सदन में भी बहुमत मिल गया था। इस बहुमत का मतलब था कि उन्हें पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया जाए। लेकिन पाकिस्तान के सैनिक शासक जनरल याहिया खान ने सेना को ढाका में आवामी लीग के खिलाफ हमला बोलने का आदेश दे दिया और मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर पश्चिमी पाकिस्तान ले जाया गया। जनरल याहिया खान ने पूर्वी पाकिस्तान में अशांति को दूर करने के लिए जनरल टिक्का खान को भेजा। इस जनरल के नेतृत्व में जनता पर जो भीषण जुल्म किए गए उससे पूरी मानवता कांप उठी। लाखों निर्दोष लोगों को मौत के घाट पहुंचा दिया गया और एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए भारत में आकर शरण ली। पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने खुद को इस दमनकारी शासन से मुक्ति दिलाने के लिए मुक्ति वाहिनीश् जनसेना का निर्माण किया। भारत ने बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी जनसंख्या की आक्रामकता की जानकारी दुनिया को दी।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शेख मुजीबुर को उनके स्वतंत्रता संग्राम में खुलकर समर्थन देने का निर्णय लिया। भारत-पाक युद्ध की शुरुआत तब हुई, जब 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी वायु सेना ने भारत पर हमले शुरू कर दिए। 13 दिन तक चले युद्ध के बाद आखिरकार भारत के जांबाज सैनिकों के आगे पाकिस्तानियों को धूल चाटनी पड़ी और उन्होंने बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा। भारत ने आश्वासन दिया कि उन्हें सुरक्षित पूर्वी पाकिस्तान से उनके देश पाकिस्तान भेजा जाएगा। आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर 16 दिसंबर को ढाका में पाकिस्तान के ले. जनरल नियाजी और भारतीय सेना के पूर्वी आर्मी कमांडर ले. जनरल जे.अरोड़ा ने दस्तखत किए। मुक्ति वाहिनी ने ढाका पर नियंत्रण हासिल किया और एक नए देश बांग्लादेश का निर्माण हुआ। पाकिस्तान पर विजय के बाद पूरी दुनिया में भारत का डंका बजने लगा। पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष तौर पर अमरीका व चीन का समर्थन होने पर भी उसे करारी हार झेलनी पड़ी। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इस विजय का महानायक करार दिया गया। विपक्ष ने भी इंदिरा गांधी को दुर्गा की उपाधि दी।