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Supreme Court to hear today in verdict right to privacy

नई दिल्ली। सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने अपने आदेश पर रोक लगाने के साथ ही उसे वापस लेने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के दौरान लोगों को खड़ा होना ही पड़ेगा। लेकिन यह जरुरी नहीं होगा कि वे इसे गाएं। इसी तरह सिनेमा, न्यूजरील या डाक्यूमेंट्री में राष्ट्रगान का इस्तेमाल किया गया है तो लोगों को खड़े होने की जरुरत नहीं है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 अप्रेल को होगी। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत के इस आदेश को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं में कहा गया कि कोर्ट इस आदेश को वापस लें। क्योंकि यह आदेश अधिकारों का हनन और सिनेमा सरीखे मनोरंजक स्थल पर इन्हें लागू नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा राष्ट्रगान को सवाल देश के लोगों की देशभक्ति की भावना से जुड़ा है। इसे लेकर कोई कानून नहीं है। इस लिहाज से कोर्ट का आदेश महत्वपूर्ण साबित हो जाता है। राष्ट्रगान सिनेमाघरों के अलावा सभी स्कूलों में जरुरी किया जाए। क्योंकि राष्ट्र के प्रति प्रेम व देशभक्ति की भावना बच्चों में शुरू से ही जागृत होती है। इससे पहले 30 नवंबर को एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश में कोर्ट ने कहा था कि देशभर के सभी सिनेमाघरों में फिल्म के शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजेगा। वहीं सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना अनिवार्य होगा। सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना होगा। कोर्ट के आदेश के अनुसार ध्यान रखा जाए कि किसी भी व्यावसायिक हित में राष्ट्रगान का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। किसी भी तरह की गतिविधि में ड्रामा क्रिएट करने के लिए राष्ट्रगान का इस्तेमाल नहीं होगा न ही वैरायटी गीत के तौर पर राष्ट्रगान गाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि जब लोग राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज का आदर करेंगे तो उनमें देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना जागेगी। यह लोगों का नैतिक कत्तव्र्य है कि वह संविधान का आदर करें, पालन करें और साथ ही संवैधानिक संस्थानों, राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें।

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