इलाहाबाद. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गोरखपुर में 2007 में हुए दंगों को लेकर दायर याचिका आज खारिज कर दी। इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ प्रमुख आरोपियों में से एक थे। न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्र शर्मा की पीठ ने परवेज परवाज की याचिका पर यह फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि उसे इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इंकार करने के आदेश में कोई प्रक्रियागत अनियमितता नहीं मिली।
याचिकाकर्ता परवेज परवाज उस प्राथमिकी में शिकायतकर्ता थे, जबकि अन्य याचिकाकर्ता असद हयात 2007 के गोरखपुर दंगा मामले में गवाह थे। इस याचिका के लंबित रहने के दौरान प्रधान सचिव (गृह) द्वारा 3 मई, 2017 को मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया था जिसे याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में संशोधन कर चुनौती दी थी।
इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने अदालत से 2008 में दर्ज हुई प्राथमिकी की एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। गोरखपुर के कैंट पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन सांसद योगी, गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजु चौधरी, तत्कालीन विधायक राधा मोहन अग्रवाल तथा अन्य लोगों ने सांप्रदायिक हिंसा भड़काई थी जिससे 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए थे।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि इस मामले की जांच सीबी-सीआईडी कर रही है और आशंका है कि राज्य की पुलिस इस मामले में निष्पक्ष नहीं रहे, इसलिए इस मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित की जाए।