इस बैठक में ओडिशा सरकार और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के बीच कर-विवाद को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिये उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया। इस बैठक में तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव, आईओसीएल के अध्यक्ष, ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव एवं ओडिशा के विकास आयुक्त भी उपस्थित थे।
तेल एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र प्रधान का विचार था कि यद्यपि राज्य ने कर राहत को 2004 में बढ़ा दिया था लेकिन राज्य की वित्तीय स्थिति और आईओसीएल के व्यवसायिक हितों को देखते हुये मौजूदा गतिरोध को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने ऐसे मध्यमार्ग को खोजने की आवश्यकता पर बल दिया जिससे आईओसीएल एवं ओडिशा सरकार दोनों ही अपनी घोषित स्थितियों से पीछे हटते हुये एक परस्पर स्वीकार्य समझौते पर राजी हो सकें।
प्रधान का विचार था कि ये राज्य सरकार के लिये अहम है कि वह आईओसीएल की विस्तार योजनाओं को राहत प्रदान करे ताकि राज्य में पेट्रोकेमिकल एवं डॉउनस्ट्रीम उद्योगों की स्थापना हो सके। दीर्घकाल में यह राज्य को राजस्व बढ़ाने में मदद करने के साथ-साथ राज्य के युवाओं के लिये रोजगार के नये अवसरों का सृजन भी करेगा।
यह राज्य में एक नये औद्योगिक पारिस्थिकी तंत्र की आधारशिला रखेगा जिससे औद्योगिकीकरण एवं वित्तीय सुदृढ़ता का मार्ग प्रशस्त होगा। यह माननीय प्रधानमंत्री के पूर्वी भारत के विकास, जिसमें ओडिशा भी सम्मिलित है, के लिये पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने की संकल्पना के अनुरूप भी है।
बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, आईओसीएल तथा राज्य सरकार के अधिकारी विभिन्न मुद्दों पर विचार करके एक स्वीकार्य समाधान को अतिशीघ्र खोजेंगे।