जयपुर। भष्टाचार और अनियमितताओं के मामलों में नंबर-वन प्रदेश के जलदाय विभाग के अधिकारी पूरी तरह से बेखौफ है। कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के खेल में पूरी तरह से डूब चुके विभाग के अधिकारियों और इंजीनियर्स को न तो आलाधिकारियों का डर है और न ही आचार संहिता का खौफ। आचार संहिता में विभाग के अधिकारी बेखौफ होकर योजनाओं की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर रहे हैं। जलदाय विभाग मुख्य अभियंता शहरी आई.डी.खान ने आचार संहिता के दिन 6 अक्टूबर, 2018 को जयपुर ग्रामीण अधीक्षण अभियंता मनीष बेनीवाल की ओर से भेजी गई कोटपूतली और शाहपुरा के पंपहाउसों के सुदृढ़ीकरण के कार्यों की 194.29 लाख रूपए लागत की दो प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी, जबकि विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र ने आचार संहिता लगते ही तुरंत विभाग के सभी मुख्य अभियंताओं को वाट्सएप पर मैसेज भेजकर टेंडर लगाने, वर्क आॅर्डर जारी करने, प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी करने जैसे कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए थे। मुख्य अभियंता शहरी आई.डी.खान की ओर से शाहपुरा कस्बे के पंपहाउस के सुदृढ़ीकरण की 98.10 लाख और कोटपूतली कस्बे के पंपहाउस के सुदृढ़ीकरण की 96.19 लाख की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई। ये दोनों ही कार्य इमरजेंसी के नहीं है, दोनों कस्बों के पंपहाउस वर्तमान में चालू हैं और दोनों कस्बों में नियमित रूप से पेयजल सप्लाई हो रही है, लेकिन इन दोनों कार्यों की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति आचार संहिता के दिन जारी करना समझ से बाहर है।
प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति से 90 से 99 लाख के बीच ही क्यों ?
जलदाय विभाग में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की छोटी योजनाओं की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति ज्यादातर 90 से 99 लाख के बीच ही क्यों होती है। ये प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियां 1 करोड़ से ज्यादा क्यों नहीं पहुंचती। अधिकांश फील्ड इंजीनियर्स द्वारा प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति के प्रस्ताव 99 लाख से कम राशि के ही तैयार करके क्यों भेजे जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि 1 करोड़ तक की राशि की योजनाओं की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति मुख्य अभियंता स्तर पर ही जारी होती है, जो कि फील्ड इंजीनियर्स द्वारा आसानी से स्वीकृत करवा ली जाती है, लेकिन 1 करोड़ से ज्यादा राशि की योजनाओं की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति फायनेंस कमेटी के पास जाती हैं, जहां योजनाओं के प्रस्ताव की पूरी छानबीन होती है और कमीं होने पर प्रस्ताव को वापस लौटा दिया जाता है। फील्ड इंजीनियर्स के अधिकांश प्रस्तावों में काफी कमियां और अधूरे दस्तावेज होते हैं, जो कि मुख्य अभियंता कार्यालय स्तर पर मैनेज कर आसानी से प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी करवा ली जाती है, लेकिन ऐसी अनियमितताओं के साथ फायनेंस कमेटी में प्रस्ताव पास कराना मुश्किल होता है। ऐसे में फील्ड इंजीनियर्स ने इसका तोड़ निकालते हुए योजनाओं का प्रस्ताव 90 से 99 लाख रूपए की लागत के बीच ही बनाए जाते हैं, ताकि मुख्य अभियंता स्तर पर आसानी से स्वीकृति जारी हो जाए।