जयपुर। जलदाय विभाग द्वारा चहेती एजेंसियों को फायदा पहुंचाने के साथ ही मीडिया को मैनेज करने के लिए आचार संहिता में अपनी की आड़ में विज्ञापनों के लोलीपॉप का मसौदा तैयार किया है। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामलों में विभाग की लगातार हो रही बदनामी को रोकने और मीडिया को अपील के नाम पर विज्ञापनों से मैनेज करने को लेकर जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग प्रमुख शासन सचिव को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। जलदाय विभाग की ओर से भेजे गए इस प्रस्ताव को जल संरक्षण की थीम दी गई है, ताकि आदर्श आचार संहिता से बचा जा सके। जलदाय विभाग ओर प्रस्ताव में जनता की पेयजल सप्लाई और जल संरक्षण का मसौदा तैयार किया गया है। प्रस्ताव में जलदाय विभाग ने बताया है कि मानसून के दौरान बारिश की कमीं के चलते प्रदेश के बांधों और जलाशयों में पानी की स्तर बहुत कम है, यदि जनता ने पानी का उपयोग मितव्ययता और विवेकतापूर्ण तरीके से नहीं किया तो आने वाले महिनों में पानी के बहुत ही गंभीर संकट से जूझना पड़ेगा। इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि हम हर कीमत पर अगले मानसून तक हम लोगों में पानी की उपलब्धता, मांग और संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाए। मितव्ययता से पानी का उपयोग और उसे व्यर्थ बहने से बचाने के उपायों से पानी की उपलब्धता बढ़ेगी। प्रदेश में 6 अक्टूबर, 2018 को आदर्श आचार संहिता लग गई है और इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग दो माह का समय लगेगा। इस दौरान प्रदेश की जनता को सतही जल का मितव्ययता और सुग्राहित तरीके से पानी का मितव्ययता के साथ उपयोग करना होगा, विशेषकर जयपुर, अजमेर, टोंक और पाली जिलों में। इसलिए आदर्श आचार संहिता के दौरान मीडिया के माध्यम से पानी के मितव्ययता से उपयोग और जागरूकता को लेकर इस अभियान को मंजूरी दी जाए। अभियान के तहत पानी के संरक्षण और मितव्ययता को लेकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया, जिसमें टीवी चैनल्स, दूरदर्शन, एयर-एफएम चैनल्स के साथ एलईडी, प्लाज्मा और बस स्टेण्ड और रेलवे स्टेशन्स पर टीवी लगाए जाएंगे। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी एसएमएस के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाएगी। प्रिंट मीडिया में अखबारों, मैगजिन्स, बुकलेट, पंपलेट में जागरूकता के विज्ञापन छपवाए जाएंगे। जागरूकता अभियान में बीसलपुर बांध के पानी को बचाने के लिए जयपुर, अजमेर, टोंक जिले में जागरूकता और मितव्ययता से पानी के उपयोग के विज्ञापन चलाए जाएंगे। इन विज्ञापनों में सरकारी गतिविधियों का कोई उल्लेख नहीं किया जाएगा और आदर्श आचार संहिता की पूर्ण पालना की जाएगी। विज्ञापन का बेस पूरी तरह से समुदाय में पानी के मितव्ययता से उपयोग और जल संरक्षण की जागरूकता पर रखा गया है।
सोशल मोबीलाईजेशन का पैसा मीडिया प्लान में
ग्रामीण पेयजल योजनाओं के प्रचार-प्रसार के बजट को डब्ल्यूएसएसओ निदेशक की ओर से आईईसी एक्टिविटिज में बढ़ा दिया गया, जबकि आईईसी एक्टिविटिज में करोड़ों रूपए का बजट पहले से ही पड़ा हुआ है, जिसे जलदाय विभाग खर्च की नहीं कर पाया है। डब्ल्यूएसएसओ निदेशक अरूण श्रीवास्तव की ओर से रिवाइज्ड प्लान तैयार किया गया, जिसमें न्यज पेपर कम्यूनिकेशन कैम्पेन का बजट 4 करोड़ से बढ़कार साढ़े 4 करोड़, इलेक्ट्रोनिक मीडिया टीवी चैनल्स का बजट 3 करोड़ से बढ़ाकर 4 करोड़, रेडियो-एफएम का बजट 80 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़, बल्क एसएमएस का बजट 1 लाख से बढ़ाकर 6 लाख, एलईडी डिसप्ले का बजट 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया, ताकि मीडिया और आउटडोर मीडिया को मोटा पैसा बांटकर मैनेज करने और कमीशन वसूल सके।