मैसर्स एनसीसी मेहरबानी पार्ट-3: जनप्रहरी एक्सप्रेस की खबर पर एक्शन
जयपुर। जलदाय विभाग में एनसीसी कंपनी पर अधिकारियों की ओर से की जा रही मेहरबानी का जनप्रहरी एक्सप्रेस द्वारा खुलासा किए जाने के बाद एनसीसी कंपनी पर कार्रवाई शुरू हो गई है। पूरे मामले में आलाधिकारी खुद को पाक-साफ करने में जुट गए हैं। जनप्रहरी एक्सप्रेस के खलासे के बाद विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र पर सवाल खड़े होने लगे तो उन्होंने अधिकारियों के साथ बिन्दुवार मलसीसर रॉ वाटर रिजर्वायर मामले पर अधिकारियों के साथ चर्चा की। प्रमुख शासन सचिव ने आरडब्ल्यूआर का घटिया काम करने वाली फर्म को डी-बार करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश देने के साथ ही मामले में दोषी इंजीनियर्स की चार्जशीट में हो रही देरी को लेकर अधिकारियों पर अपनी खींज भी उतारी। आरडब्ल्यूआर टूटने से आसपास के क्षेत्र में सरकारी और निजी लोगों की सम्पत्ति को काफी नुकसान हुआ था। करीब 4 करोड़ 74 लाख के नुकसान की वसूली कंपनी से करनी थी, लेकिन 6 माह बाद भी कंपनी से मात्र 1 करोड़ 10 लाख रूपए की वसूली की गई। प्रमुख शासन सचिव ने झुंझुनूं कलक्टर के माध्यम से जल्द वसूली करने के भी निर्देश दिए।
दरअसल 31 मार्च, 2018 को मलसीसर स्थित आरडब्ल्यूआर टूटने के बाद जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र के साथ झुंझुनूं जिला कलक्टर और विभाग के तीन मुख्य अभियंताओं की टीम ने मलसीसर आरडब्ल्यूआर स्थल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान प्रारम्भिक जांच में आरडब्ल्यूआर टूटने के लिए मैसर्स एनसीसी कंपनी और विभागीय इंजीनियर्स को जिम्मेदार ठहराया। प्रमुख शासन सचिव की ओर से विभाग के दो अधिशाषी अभियंताओं को दोषी मानते हुए उन्हें तत्काल सस्पेंड करने के आदेश जारी किए। दूसरी ओर कार्य में गंभीर लापरवाही बरतने वाली कंपनी को नुकसान और आरडब्ल्यूआर टूटने के लिए दोषी मानते हुए उस पर 4 करोड़ 74 लाख रूपए की पैनल्टी वसूलने के साथ ही उसे 3 साल के लिए विभाग से डी-बार करने के आदेश जारी किए थे। विभाग की ओर से दो अधिशाषी अभियंताओं को तो तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए गए, लेकिन दूसरी ओर पौने 6 माह निकल जाने के बाद मैसर्स एनसीसी कंपनी से मात्र 1 करोड़ 10 लाख रूपए की वसूली की गई है। इतना ही नहंीं विभाग के अधिकारी कंपनी पर कठोरतम दण्ड के रूप में 3 साल के लिए डी-बार करने की सजा को तो भूल ही गए। 6 माह का समय निकल जाने के बाद भी विभाग की ओर से आज तक मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने के आदेश जारी नहंी किए गए हैं। अब इसे जलदाय विभाग के इंजीनियर्स की भूल कहें या फिर मेहरबानी, लेकिन विभाग के अधिकारियों के इस कृत्य ने एक बार फिर पूरे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रमुख शासन सचिव रजत मिश्र पर भारी मैसर्स एनसीसी कंपनी
प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र ने जिस जोश के साथ जलदाय विभाग में शुरू किया था, वो जोश अब ठंडा हो गया। विभाग में प्रमुख शासन सचिव के आदेशों की पालना न तो अधिकारी कर रहे हैं और न ही कंपनियां मान रही है। मलसीसर मामले में भले प्रमुख सचिव रजत कुमार मिश्र मीडिया के सामने उनकी ओर से लिए गए एक्शन को गिनाते हुए नहीं थकते, लेकिन धरातल पर उनके आदेशों की एक चैथाई भी पालना नहीं हो रही। मलसीसर मामले में मैसर्स एनसीसी कंपनी विभाग की सभी कार्रवाई को ठेंगा दिखाते हुए अपने हिसाब से ही काम कर रही है। कंपनी को डी-बार करने के आदेश के बाद भी आज तक कंपनी डी-बार नहीं हुई। कंपनी पर विभाग की ओर से 4 करोड़ 74 लाख की पैनल्टी लगाई, लेकिन कंपनी ने मात्र निजी लोगों के नुकसान का 1 करोड़ 10 लाख रूपए चुकाया है। प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र ने आरडब्ल्यूआर की तकनीकी खामियों की जांच आईआईटी देहली से कराने के निर्देश दिए, लेकिन कंपनी ने आईआईटी मुंबई से जांच कराने का निर्णय विभाग को सुनाया, जिसे विभाग ने सहज मान लिया। तीनों की मामलों पर प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र के एक भी आदेश की पालना नहीं हुई। और अब भी प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र के निर्देश के बाद भी कंपनी ने पैनल्टी की पूरी राशि नहीं चुकाई और न ही कंपनी डी-बार हुई है। ऐसे में साफ हो गया कि इस पूरे मामले में एनसीसी कंपनी जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव रजतकुमार मिश्र पर भारी रही है।