-जितेन्द्र शर्मा
लाहोटी बिल्डकॉन को दिए अमृत में 245 करोड़ के कार्य, अमृत योजना में फर्म को 20 प्रतिशत ऊंची दरों पर दिए काम, दूसरी फर्मों पर भी दिखाई मेहरबानी, जबकि इसी दौरान जोधपुर में अमृत कार्य 8.20 प्रतिशत कम दरों पर दिया गया। मेयर अशोक लाहोटी के परिवार से जुड़ी है फर्म
जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) योजना प्रदेश के जलदाय विभाग में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। योजना में मेयर अशोक लाहोटी के परिवार से जुड़ी फर्म पर जमकर ह्लअमृतह्व की वर्षा हुई है। राजनीतिक प्रभाव और मिलीभगत के कथित खेल में फर्म को 20 प्रतिशत ज्यादा दरों पर अमृत योजना का काम दिया हैैं। अमृत योजना में प्रदेश के 23 में से 4 शहरों में जयपुर मेयर अशोक लाहोटी के परिवार से जुड़ी फर्म मैसर्स लाहोटी बिल्डकॉन को 245 करोड़ लागत की पेयजल योजनाओं का कार्य दिया गया है। ये सारा खेल राजनीतिक लोगों और जलदाय विभाग अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है। जलदाय विभाग के अधिकारियों ने ऊपरी दबाब के चलते और कमीशन के लालच में पूल करवाकर अमृत योजना के कार्य 20 प्रतिशत ज्यादा दरों पर बांटकर केन्द्र सरकार को 150 करोड़ का सीधा चूना लगा दिया। यह सारा खेल जयपुर और जोधपुर के कुछ प्रभावशाली राजनीतिक लोगों और ठेका फर्मों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया।
दअरसल केन्द्र सरकार द्वारा शहरों में जलापूर्ति, सीवरेज, शहरी परिवहन जैसी बुनियादी सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) की स्थापना की गई। मिशन के तहत प्रदेश में स्मार्ट सिटीज के साथ कुल 29 शहरों का चयन किया गया। इसमें 5 शहरों में आरयूआईडीपी फेज-3, अजमेर और उदयपुर में स्मार्ट सिटी परियोजना, किशनगढ़ में राज्य योजना मद में कार्य स्वीकृत किए गए। बाकी 21 शहरों में अमृत मिशन के तहत पेयजल योजनाओं का सुदृढ़ीकरण के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। अमृत मिशन के तहत शुरू में पेयजल कार्यों की दरें कम आई थी, लेकिन जुलाई में जयपुर और जोधपुर की ठेका कंपनियों ने विभाग के आलाधिकारियों के साथ मिलकर अमृत के कार्यों को ज्यादा दरों पर लेने की प्लानिंग तैयार की। इसके लिए विभाग के टॉप लेवल से कुठ ठेका कंपनियों को अमृत टेंडरों से दूर रहने के लिए धमकाया भी गया। ठेका कंपनियों के संचालकों ने हमारे संवाददाता को धमकियों के बारे में बताया है। इसके बाद गंगापुरसिटी, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, हिण्डौनसिटी, भरतपुर, कोटा और जयपुर के टेंडरों को पूरी प्लानिंग से पूल किया गया। इन शहरों के अमृत मिशन के टेंडरों में ठेका कंपनियों की ओर से 28 से 38 प्रतिशत तक उंची दरें भरी गई। जयपुर के इंजीनियर्स ने अमृत टेंडरों की ज्यादा दरों का रेट जस्टिफिकेशन तैयार करने से मना कर दिया तो प्लानिंग तैयार करने वाली ठेका फर्मों द्वारा जोधपुर के इंजीनियर्स से टेंडरों का रेट जस्टिफिकेशन तैयार करवाया गया। इसके बाद विभाग के आलाधिकारियों ने ज्यादा दरों को उचित ठहराते हुए फायनेंस कमेटी की बैठक में ठेका फर्मों को 20 प्रतिशत ज्यादा दरों का काउंटर आॅफर दिया गया, जिसे ठेका फर्मों द्वारा तुरंत स्वीकार कर लिया गया। विभाग की ओर से मैसर्स लाहोटी बिल्डकॉन को अमृत मिशन के तहत चित्तौड़गढ शहर की पेयजल योजना का 68.53 करोड़ का कार्य और धौलपुर शहर की पेयजल योजना का 47 करोड़ का कार्य 20 प्रतिशत ज्यादा दरों के साथ कुल 245 करोड़ के कार्य दिए गए। इसी प्रकार मैसर्स देवेन्द्र कंस्ट्रक्शन जोधपुर को गंगापुरसिटी का 77.79 करोड़ और सवाईमाधोपुर शहर के अमृत मिशन का 52.90 करोड का कार्य 20 प्रतिशत ज्यादा दरों पर दिया गया। मैसर्स दारा कंस्ट्रक्शन जोधपुर को कोटा शहर का 90.49 करोड़ का कार्य 20 प्रतिशत ज्यादा दरों पर दिया गया। मैसर्स एसबी एंटरप्राइजेज जोधपुर को हिण्डौनसिटी का 24.32 करोड़ की पेयजल योजना का कार्य 20 प्रतिशत ज्यादा दरों पर दिया गया, जबकि इसी दौरान अमृत मिशन के तहत जोधपुर शहर का कार्य टेंडर लागत से 8.21 प्रतिशत कम दरों पर दिया गया। वहीं अमृत मिशन के तहत बीकानेर शहर का कार्य 5 प्रतिशत ज्यादा दरों पर दिया गया। ऐसे में सवाल उठते हैं कि जब अन्य शहरों में अमृत मिशन के कार्यों की दरें कम आई, तो फिर गंगापुरसिटी, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, हिण्डौनसिटी, भरतपुर, कोटा और जयपुर के अमृत कार्य की दरें 28 से 38 प्रतिशत ज्यादा क्यों आई और फिर विभाग ने 20 प्रतिशत ज्यादा दरों का काउंटर आॅफर क्यों दिया।
जोधपुुर पैटर्न के नाम पर हुआ खेल
अमृत मिशन में जलदाय विभाग के अधिकारियों ने राजनीतिक और ठेका कंपनियों के साथ मिलकर जिस घोटाले को अंजाम दिया, उसमें जोधपुर पैटर्न की सबसे अहम भूमिका रही। अमृत मिशन के तहत जोधपुर शहर के पेयजल योजना कार्यों की दरें भले टेंडर लागत से 8.21 प्रतिशत कम आई हो, लेकिन गंगापुरसिटी, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, हिण्डौनसिटी, भरतपुर, कोटा और जयपुर शहर के अमृत कार्यों की दरें 20 प्रतिशत ज्यादा देने में जोधपुर पैटर्न का ही इस्तेमाल किया गया। इन सात शहरों की पेयजल योजनओं की दरों का विश्लेषण जोधपुर पैटर्न से जस्टिफाई किया गया। जोधपुर पैटर्न नाम देकर विभाग के अधिकारी और इंजीनियर्स ने डीआई पाइप, एमएस पाइप, वाल्व, डीआई स्पेशल्स और सर्विस कनेक्शन की दरें बहुत ज्यादा रखकर उंची दरों को जस्टीफाई कर दिया। जबकि विभाग के होशियार इंजीनियर और अधिकारी ये भूल गए कि इन्हीं शहरों में इसी तरह के कार्य जलदाय विभाग द्वारा 10 से 20 प्रतिशत कम दरों पर कराए जा रहे हैं।
अमृत की ऊंची दरों का जयपुर-जोधपुर कनेक्शन
गंगापुरसिटी, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, हिण्डौनसिटी, भरतपुर, कोटा और जयपुर शहर में अमृत मिशन के कार्यों की उंची दरों का जयपुर और जोधपुर से बहुत गहरा कनेक्शन है। जयपुर की जिस फर्म को अमृत मिशन के तहत 4 शहरों की 245 करोड़ की पेयजल योजनाओं का कार्य मिला है, वह जयपुर महापौर अशोक लाहोटी की फर्म है। इसी प्रकार अमृत मिशन के कार्य 20 प्रतिशत ज्यादा दरों पर पाने वाली मैसर्स देवेन्द्र कंस्ट्रक्शन, मैसर्स दारा कंस्ट्रक्शन और मैसर्स एसबी इंटरप्राईजेज तीनों की कंपनियां जोधपुर की है, और जलदाय मंत्री सुरेन्द्र गोयल भी जोधपुर क्षेत्र से हैं और ये ठेका फर्में जलदाय मंत्री की करीबी मानी जाती है।
प्रमुख सचिव रजत मिश्र की कार्यशैली पर उठे सवाल
जलदाय विभाग हर छोटे से बड़े मामले को लेकर कोई भी शिकायत हो या फिर मीडिया ने कोई भी मामला उजागर किया हो, प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र द्वारा मामलों पर तुरंत एक्शन लिया गया। लेकिन अमृत मिशन के तहत प्रमुख शासन सचिव की आंखों के सामने इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया और फायनेंस कमेटी की बैठक में ही इन घोटालों की योजनाओं को स्वीकृत किया गया। एक ही योजना के कार्य उसी समय कई शहरों में कम दरों पर स्वीकृत किए गए, तो फिर 7 शहरों की पेयजल योजनाओं के कार्यों को लेकर विभाग की फायनेंस कमेटी की ओर से 20 प्रतिशत ज्यादा दरों का काउंटर आॅफर क्यों दिया गया। ये सभी फायनेंस कमेटी बैठकें प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र की अध्यक्षता में हुई थी, जिनमें 20 प्रतिशत ज्यादा दरों का काउंटर आॅफर ठेका फर्मों को दिया गया था।