एफए एण्ड सीएओ के रिमाण्डर के बाद भी नहीं भेज रहे रिपोर्ट
प्रमुख सचिव रजत कुमार मिश्र की मामले पर चुप्पी से उठे सवाल
जयपुर। जलदाय विभाग के इंजीनियर ठेका फर्मों के साथ मिलकर विभागीय योजनाओं के आॅपरेशन एण्ड मेंटीनेंस के साथ अन्य अनुबंध कार्यों हुए करोड़ों रूपए के घोटाले को छुपाने में जुट गए हैं। घोटाला उजागर होने के डर से प्रदेश के किसी भी कार्यालय ने विभागीय योजनाओं के ओएण्डएम और अन्य अनुबंधों में लगे श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई की सूचना नहीं भेजी है। वित्तीय सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी, राजस्थान जलप्रदाय एवं सीरवेज प्रबंध मंडल की ओर से 6 सितम्बर को जलदाय विभाग के सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को पत्र लिखकर 7 दिवस में विभागीय पेयजल योजनाओं के ओएण्डएम और अन्य अनुबंध के कार्यों में संवेदकों के द्वारा नियोजित श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई की सूचना मांगी गई थी, लेकिन 20 दिन निकल जाने के बाद भी विभाग के किसी भी कार्यालय की ओर से सूचना नहीं भिजवाई गई। सूचना नहीं भिजवाने पर वित्तीय सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी ओर से 25 सितम्बर को विभाग के सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को रिमाण्डर जारी कर अतिशीघ्र सूचना भिजवाने के लिए लिखा गया, लेकिन अभी तक विभाग के किसी भी कार्यालय की ओर से पीएफ-ईएसआई की सूचना नहीं भिजवाई गई है।
विभाग की हजारों पेयजल योजनाओं में हुए पीएफ-ईएसआई के इस घोटाले में इंजीनियर्स की मिलीभगत तो सामने आ रही है, लेकिन विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र के इस मामले पर चुप्पी साधने से उनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल प्रदेश में चल रही हजारों करोड़ की पेयजल योजनाओं के ओएण्डएम और अन्य अनुबंध कार्यों की शर्तों के अनुसार ठेका फर्मों को नियोजित श्रमिकों का वेतन सीधे उनके बैंक अकाउंट में जमा कराने के साथ ही उनके पीएफ-ईएसआई का पैसा संबंधित कार्यालयों में जमा कराना था। ठेका फर्मों द्वारा खुलेआम टेंडर शर्तों की धज्जियां उड़ाई गई और मोटे कमीशन के लालच में विभाग के इंजीनियर्स ने भी गबन के इस खेल में ठेका फर्मों का साथ दिया और उन्हें भुगतान करते रहे। कमीशन के लालच में इंजीनियर ठेका शर्तों की पालना कराना भी भूल गए। मजेदार बात तो यह कि विभाग में चल रहे इस करोड़ों रूपए के खेल को लेकर विभाग के वित्तीय सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी की ओर सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं से उनके अधीन चल रही योजनाओं में ठेका फर्मों द्वारा नियोजित श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई कटौती की 7 दिवस में जानकारी मांगी गई, लेकिन 20 दिन बाद भी इंजीनियर्स जानकारी ही नहीं भेज रहे। वित्तीय सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी कार्यालय की ओर से रिमाण्डर भेजने के बाद भी विभाग के इंजीनियर्स जानकारी नहीं भेज रहे। इस पूरे मामले की जानकारी जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र को भी जानकारी है, लेकिन इस पूरे मामले पर चुप्पी ने उनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
श्रमिकों का फर्जी भुगतान उठाया, पीएफ-ईएसआई का पैसा भी डकार गए
जलदाय विभाग में ठेके पर चल रही आॅपरेशन एण्ड मेंटीनेंस की योजनाओं में ठेका फर्मों द्वारा टेंडर शर्तों और मापदण्डों की पालना नहीं करने के बाद भी विभाग के इंजीनियर्स लंबे समय से गलत भुगतान कर रहे हैं। ठेका फर्मों द्वारा टेंडर शर्तों के अनुसार न तो मैनपावर लगा रहे हैं और ना ही आवश्यक संसाधन लगाते है। ठेका फर्मों द्वारा पूरा एक चैथाई मैन पावर लगाए जाते हैं और फर्जी श्रमिकों के नाम से करोड़ों रूपए का भुगतान उठाया जा रहा है। इतना ही नहीं जलदाय विभाग द्वारा भुगतान किए जाने के बाद भी ठेका फर्मों द्वारा नियोजित श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई पैसा भी उनके अकाउंट खुलवाकर जमा कराने की बजाए खुद ही डकार गए। प्रदेशभर की जलदाय विभाग की ओएण्डएम और अनुबंध की अन्य योजनाओं में लंबे समय से यह मिलीभगत का खेल चल रहा है। 100 करोड़ से ज्यादा के गबन का यह खेल जलदाय विभाग के इंजीनियर्स की मिलीभगत और आलाधिकारियों की अनदेखी के चलते लंबे समय से फल-फूल रहा है।