नयी दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले, उच्चतम न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में वीवीपैट मशीनों से निकलने वाली मतदान सत्यापन पर्ची गिनने से इंकार करने के निर्वाचन अधिकारी के विवेकाधिकार को चुनौती दी गई है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को सुनने पर सहमति जताई और गुजरात की एक राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि चुनाव आयोग के वकील को याचिका की प्रति उपलब्ध कराई जाए। इस निर्देश के साथ पीठ ने मामले में सुनवाई के लिए 20 नवंबर की तारीख तय की। पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे।
याचिकाकर्ता मनुभाई चावडा ने चुनाव आचार नियम 1961 के नियम संख्या 56 डी :2: का विरोध किया जो चुनाव कराने वाले निर्वाचन अधिकारी को मतदाता मतदान सत्यापन पचीर् :वीवीपैट: गिनने से इंकार करने का विवेकाधिकार देती है। गुजरात जन चेतना पार्टी का अध्यक्ष होने का दावा करने वाले चावडा ने कहा कि इस तरह का विवेकाधिकार देखने में अवैध, एकतरफा और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन लगता है। वकील देवदत्त कामत के जरिये दायर याचिका में यह भी दावा किया गया कि मशीन द्वारा प्रयुक्त कागज कुछ महीने ही चलता है जिसके बाद इस पर छपी सामग्री हल्की पड़ जाती है या गायब हो जाती है।