जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट में वर्ष 2009 में बैक डोर एन्ट्री से कर्मचारियों की भर्ती करने के मामले में दायर दो जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में लंबित त्रिलोक सैनी की याचिका की सुनवाई एक मई को तय की है। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश गोपाल केसावत और प्रमोद नारायण माथुर की जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए दिए। अदालत ने माना कि सेवा संबंधी मामलों में जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती हैं।
त्रिलोक सैनी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट में वर्ष 2009 में 21 लोगों को बैक डोर से भर्ती किया गया। जबकि इसके लिए न तो कोई भर्ती निकाली गई और न ही कोई परीक्षा आयोजित हुई। याचिका में गुहार की गई कि बैक डोर से नियुक्त हुए कर्मचारियों को हटाया जाए या याचिकाकर्ता को भी इसी तरह से नियुक्ति दी जाए। याचिका में यह भी कहा गया कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने वर्ष 1999 में इसी तरह भर्ती किए गए 104 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था। वहीं दोनों जनहित याचिकाओं में भी यह मुद्दा उठाया गया था। सुनवाई के दौरान पक्षकार बनाए गए कर्मचारियों की ओर से सेवा संबंधी मामलों में जनहित याचिका दायर करने पर आपत्ति हुई। इस पर अदालत ने दोनों जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए लंबित अन्य याचिका पर सुनवाई एक मई को तय की है।