जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जयपुर में आयोजित जनसभा में शनिवार को राजस्थान और सीएम वसुंधरा राजे सरकार को बड़ी सौगात दी है। जनसभा में पीएम नरेन्द्र मोदी ने सीएम वसुंधरा राजे, बीजेपी एमएलए व एमपी की मांग को देखते हुए इस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना के तौर पर मंजूरी दिए जाने का वादा किया है। मोदी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत पार्वती, कालीसिंध व चंबल नदियों की लिंक परियोजना को मंजूरी दिए जाने को लेकर प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव केन्द्रीय जलसंसाधन विभाग के पास है। इस प्रोजेक्ट से तेरह जिलों की दो लाख हेक्टेयर भूमि न केवल सिंचित होगी, बल्कि तेरह जिलों की जनता को साफ पानी पीने को मिलेगा। इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने का आश्वासन देते हैं।
वे इस प्रोजेक्ट को देखेंगे और वादा करते हैं कि इसे पूरा भी करेंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने हाल ही नई दिल्ली में केन्द्रीय सड़क परिवहन, राष्ट्रीय राजमार्ग और जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की थी। राजे ने पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पेयजल एवं सिंचाई सुविधाओं से लाभान्वित करने के लिये बनाई गई करीब 37 हजार करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी परियोजना इस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्टह्ण को पार्वती, कालीसिंध एवं चम्बल नदियों की लिंक परियोजना के रूप में केन्द्र सरकार से स्वीकृति दिलवाने का आग्रह किया ताकि पानी की समस्या से जूझते प्रदेश को परियोजना के लिए अधिकाधिक केन्द्रीय मदद मिल सके।परियोजना के लागू होने से राजस्थान की 40 प्रतिशत आबादी को सिंचाई व पेयजल की सुविधा मिल सकेगी।
13 जिलों में दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र और इतने ही अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी और पेयजल संकट से प्रभावित जिलों को पीने का पानी उपलब्ध करवाने के लिए वेपकोस से यह परियोजना तैयार करवाई गई है। इस परियोजना को केन्द्रीय जल आयोग से भी सैद्धान्तिक मंजूरी मिल चुकी है। परियोजना की प्रस्तावित लागत 37 हजार करोड़ में से करीब 20 हजार करोड़ रुपए सिंचाई से जुड़े कार्यों और 17 हजार करोड़ रुपए पीने के पानी के लिए खर्च होंगे। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की चौथी गवर्निंग कमेटी की बैठक में भी इस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट की चर्चा की थी। राजस्थान में सतही व भू-जल की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह मांग राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप वाजिब जरूरत है।