जम्मू। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर :पीओके: के विस्थापितों के एक संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर आज यहां प्रदर्शन किया। उन्होंने दावा किया कि उनकी दुर्दशा पर कभी विचार नहीं किया गया और पिछले सात दशकों से वे तकलीफदेह जीवन गुजारने पर मजबूर हैं। एसओएस इंटरनेशनल के अध्यक्ष राजीव चुनी ने बताया, ‘‘हम अपने घरों से विस्थापित हुए और 70 साल पहले जम्मू में आश्रय लेने पर मजबूर हुए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी दुर्दशा विश्व संगठनों, केंद्र और राज्य सरकारों के कानों तक नहीं पहुंच पाई।’’ पीओके से विस्थापित तीन पीढ़ियों के लोग ‘गरीबी, भेदभाव और उदासीनता’ का सामना कर रहे हैं और 39 ‘गंदे शिविरों’ में रहने को मजबूर हैं।
चुनी ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने समाज के विभिन्न हिस्सों के लोगों की राय जानने के लिये वार्ताकार :दिनेश्वर शर्मा को: नियुक्त किया है। क्यों उन्होंने पीओके से विस्थापित हुए लोगों से अब तक मुलाकात नहीं की है।’’ चुनी ने भाजपा पर उनकी दुर्दशा की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडित मासिक नकदी राहत, मुफ्त आवास और राशन, सरकारी नौकरियों और देशभर में तकनीकी और प्रोफेशनल कॉलेजों में दाखिले मेंआरक्षण पाते हैं और कई अन्य तरह के लाभ उन्हें मिलते हैं लेकिन पीओके से विस्थापित लोगों को इस तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती है। 10उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘पीओके पाकिस्तान का है।’’