जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से यदि अपराध का झूठा आरोप लगाया जाता है तो पुलिस को आईपीसी की धारा 211 की कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। इसके तहत सिर्फ अदालत ही संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। ऐसे मामलों में पुलिस को तय समय में आईपीसी की धारा 182 के तहत झूठी सूचना देने वाले के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार होता है। इसके साथ ही अदालत ने महेशनगर थाना पुलिस की ओर से धारा 211 के तहत पेश शिकायत और उस पर लिए गए प्रसंज्ञान को रद्द कर दिया है। न्यायाधीश केएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने यह आदेश मनोज धोबी की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता रियासत अली खान ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने 20 सितंबर 2015 को मारपीट और एसटी एसटी एक्ट के तहत महेश नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। दोनों पक्षों में राजीनामा होने के आधार पर जांच अधिकारी ने मामले में एफआर पेश कर दी। याचिका में कहा गया कि थानाधिकारी ने आईपीसी की धारा 211 के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ दूसरे पक्ष को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से झूठा आरोप लगाने का आरोप लगाते हुए अदालत में शिकायत पेश कर दी। जिस पर अदालत ने प्रसंज्ञान ले लिया।
याचिका में कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 195 ;1द्ध;बीद्ध;आईद्ध के तहत पुलिस को आईपीसी की धारा 211 की कार्रवाई का अधिकार ही नहीं है। यह प्रावधान सिर्फ अदालत को कार्रवाई की शक्ति देता है। पुलिस केवल झूठी सूचना देने का आरोप लगाते हुए आईपीसी की धारा 182 के तहत कार्रवाई कर सकती है। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पुलिस की ओर से पेश शिकायत और अदालत के लिए गए प्रसंज्ञान आदेश को रद्द कर दिया है।