नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने अपने थानों की खुद जासूसी कराई, तो लापरवाही के कई ऐसे मामले सामने आए जिनसे वह खुद ही हैरान रह गई। सबसे खराब हालत महिला हेल्प डेस्क की मिली, जहां ज्यादातर मामलों में महिला पुलिसकर्मी गायब मिलीं। कई थानों में ड्यूटी अफसर और दूसरे अधिकारी शिकायतकर्ताओं से बदतमीजी करते पाए गए। इनमें कुछ एसएचओ भी शामिल हैं। ये तमाम खुलासे दिल्ली पुलिस के विजिलेंस विभाग की सरप्राइज चेकिंग से हुए हैं। अंदरूनी जासूसी की इस कवायद में कुछ मामलों में विजिलेंस अफसर थानों में बहुरूपिये बनकर गए तो कुछ में अपनी पहचान साबित करते हुए थानों में छापे मारे गए। अधिकारियों के मुताबिक, विजिलेंस का काम सिर्फ रिश्वतखोर पुलिस वालों की धरपकड़ तक सीमित नहीं रहा है। समय-समय पर यह जांच भी की जाती है कि थानों में लोगों से पुलिस कैसे पेश आ रही है। आम लोगों की शिकायतों और एफआईआर पर ठीक से ध्यान दिया जा रहा है या नहीं और जो मामले दर्ज हैं, क्या उन्हें समय से निपटाया जा रहा है।
विजिलेंस विभाग को पता चला कि एफआईआर का स्टेटस पूछने पर कुछ मामलों में पीड़ितों को दुत्कार दिया जाता है। कई मामलों में शिकायतकर्ता को शिकायत की रिसीविंग ही नहीं दी गई। अचानक की जाने वाली इस चेकिंग का मकसद यह पता करना था कि चोरी या एक्सिडेंट जैसी वारदात के बाद रिकवर किए गए सामान को कहीं पुलिस वाले ही तो नहीं चुरा रहे। कहीं सरकारी गाड़ियों मसलन थानों की बाइक और जिप्सी को कोई पुलिसकर्मी निजी काम के लिए तो इस्तेमाल नहीं कर रहा। ऐसे मामलों में किस तरह की लापरवाही सामने आई, इस पर विजिलेंस विभाग ने जानकारी नहीं दी।
थानों की जासूसी से इतर विजिलेंस विभाग ने आम लोगों की शिकायत पर भी जांच-पड़ताल की। 52 ऐसे मामले निकले पिछले पांच साल के दौरान जिनमें सिपाही से लेकर एसएचओ तक घूस मांग रहे थे। सभी रंगे हाथ पकड़े गए। इस साल पुलिस को करप्शन की 11,700 शिकायतें मिली हैं। इनमें 186 में जांच के आदेश दिए गए। दो साल के दौरान 193 थानों में 844 बार अचानक चेकिंग हुई। इस साल जनवरी से अगस्त तक 344 बार अचानक चेकिंग हुई। साल 2016 के दौरान 500 बार अचानक चेकिंग की गई थी।