नई दिल्ली। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि राजस्थान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ और बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध करवाने वाले लघु एवं औद्योगिक क्षेत्र के खनन, मार्बल, ग्रेनाईट, कोटा स्टोन एवं सैंड स्टोन को जीएसटी के सबसे निचले स्लैब में रखा जाना चाहिए। राजे ने यह मांग नई दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक के दौरान अपने संबोधन में रखी। नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्य से संबंधित मुद्दे उठाए। राजे ने कहा कि राजस्थान सरकार जीएसटी लागू करने के लिए लगातार कार्य कर रही है, लेकिन मार्बल, कोटा स्टोन, ग्रेनाईट और लाइम स्टोन से जुडे़ स्थानीय उद्योगों को जीएसटी के तात्कालिक प्रभावों से बचाकर इन्हें 5 प्रतिशत स्लैब में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में करीब 58 प्रकार के छोटे-बड़े खनिज निकाले जाते हैं। इस व्यवसाय में करीब 1.20 लाख परिवार सीधे तौर पर एवं करीब 10 लाख परिवार परोक्ष रूप से अपनी आजीविका कमा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में जीएसटी बिल को सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में पास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि व्यापारियों के लिए पंजीकरण एवं ट्रेनिंग कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए मॉडल-2 के अनुरूप सूचना एवं तकनीकी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
राज्य की विशेष फसलों को एमएसपी में शामिल किया जाए. राजे ने कहा कि राजस्थान में जलवायु के अनुसार विशेष रूप से पैदा होने वाली कलस्टर बीन, मोठ, लोबिया, जीरा, धनिया, लहसुन, ईसबगोल, अरंडी, एलोविरा, मेहंदी आदि को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सूची में शामिल किया जाए ताकि इन फसलों से जुड़े किसानों को वाजिब मूल्य प्रदान कर उनकी आय दुगुनी करने की दिशा में बढ़ा जा सके। उन्होंने कहा कि राजस्थान की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। यहां का अधिकतर हिस्सा रेगिस्तानी है एवं वर्षा पर काफी निर्भरता है, इसलिए खेती को बढ़ावा देने के लिए उक्त फसलों को राष्ट्रीय स्तर पर एमएसपी में शामिल करने का निर्णय लेना अति आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में किसानों को पानी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान चलाया गया, जिसमें करीब 1.2 लाख जल संरचनाओं का निर्माण एवं पुनरुद्धार किया गया है। किसानों को निर्बाध विद्युत उपलब्ध करवाने के लिए पिछले 3 वर्षों में 22 हजार 664 सोलर पंप लगाकर राजस्थान ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया गया है। राज्य सरकार अब ‘बीज स्वावलंबन योजना’ लाने पर विचार कर रही है ताकि किसानों को उत्तम गुणवता के बीज उपलब्ध करवाये जा सकंे। मुख्यमंत्री ने बैठक में आग्रह किया कि राजस्थान की ‘परवन सिंचाई परियोजना’ को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया जाए ताकि राज्य के किसानों को स्वच्छ एवं पेयजल के साथ-साथ सिंचाई की बेहतर सुविधा मिल सके। ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ कार्यक्रमों की प्रगति का ब्यौरा देते हुए राजे ने आग्रह किया कि डिजिटल मोड ऑफ पेमंेट को बढ़ावा देने के लिए 5000 तक के लेन-देन को शुल्क मुक्त कर देना चाहिए। उन्होंने केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक एण्ड इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी विभाग और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन द्वारा राजस्थान में भारत-नेट की स्थापना करने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल राजस्थान का लक्ष्य जल्द हासिल करने के लिए ‘भामाशाह योजना’ सार्थक सिद्ध हुई है। राजे ने राज्य में ‘मिनिमम गर्वमेंट-मैक्सिमम गर्वनेंस’ को लागू करने के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार लगातार पुराने कानूनों को खत्म करने और संशोधित करने का कार्य कर रही है। राज्य में पहले करीब 405 कानून थे, जिन्हें 280 तक लाया गया है। राजस्थान में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत 2 जिलें एवं 9 शहरों को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त किया जा चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में टॉयलेट निर्माण के क्षेत्र में राजस्थान देश में प्रथम है। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2018 तक राज्य को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त बना दिया जाएगा।